सीतापुर: खाने के पड़ रहे लाले, कैसे मनाएंगे दीपोत्सव की खुशियां?

सीतापुर: खाने के पड़ रहे लाले, कैसे मनाएंगे दीपोत्सव की खुशियां?

सीतापुर। कल जहां बसती थीं खुशियां, आज है मातम वहां। किसी शायर के ये लाइन जिले के गांजरी क्षेत्र के हजारों बाढ़ पीड़ितों पर बिल्कुल सटी बैठ रही हैं। बैराजों से पानी छोड़े जाने से क्षेत्र में असमय आयी भीषण बाढ़ ने सैकड़ों परिवारों की जिंदगी मुहाल कर दी है। कहा जा रहा है कि …

सीतापुर। कल जहां बसती थीं खुशियां, आज है मातम वहां। किसी शायर के ये लाइन जिले के गांजरी क्षेत्र के हजारों बाढ़ पीड़ितों पर बिल्कुल सटी बैठ रही हैं। बैराजों से पानी छोड़े जाने से क्षेत्र में असमय आयी भीषण बाढ़ ने सैकड़ों परिवारों की जिंदगी मुहाल कर दी है। कहा जा रहा है कि त्रिपाल की छत और लाई-चूरा भोजन? तमाम बाढ़ पीड़ितों की ऐसी ही जिंदगी की कहानी बन गई है। पीड़ितों को बाढ़ ने घर से बेघर और दाने-दाने का मोहताज बना दिया है।

पीड़ित परिवारों के रहने के लिए यदि बचा है तो सिर्फ खुला आसमान या त्रिपाल और झिल्ली की छत। ऊंचे स्थानों पर लोग असुविधाओं के बीच खानाबदोशों जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं। बाढ़ की त्रासदी ने पीड़ितों का सब कुछ छीन लिया। जहां बच्चों को भूख से बिलखते देखकर माता-पिता का कलेजा फट रहा है, वहीं मवेशियों के लिए भी चारे, भूसे का बंदोबस्त न होने से दो-दो तीन-तीन दिन तक मवेशी भूखे प्यासे सड़कों के किनारे खूंटे से बंधे देखकर दिल दहल रहा है। समाजसेवियों की तरफ से पीड़ितों की हर सम्भव मदद का भरसक प्रयास किया जा रहा है।

वहीं स्थानीय प्रशासनिक मदद महज ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। जानकारों का कहना है कि भीषण बाढ़ की चपेट में आये पुरईपुरवों तक न तो प्रशासनिक टीमें पहुंच बना पा रही हैं और न ही वहां के पीड़ितों को मदद मिल पा रही है। दीपावली का पर्व निकट आ रहा है, अब ऐसे में पीड़ित परिवारों को अपने हृदय पर पत्थर रखकर अपने बच्चों की ख्वाहिशों का गला ही घोंटना पड़ सकता है। पर्व मनाने के लिए शायद पीड़ितों के पास अब कुछ भी नहीं बचा है। दीपावली के मौके पर वह कौन से घर द्वार पर दीप जलाएंगें? न उनके पास रहने का कोई ठौर है और न हीं कहीं घर द्वार ही बचा है। नदी की विनाशकारी धाराओं ने सबकुछ तहस नहस कर दिया है।

पीड़ित परिवारों के सामने पर्व मनाने के बजाय अब अपने जिरग के टुकड़ों की भूख मिटाने की चुनौती है। पीड़ितों के घर में खाने को अनाज नहीं है। यदि कहीं रिश्तेदारों या मिलने मिलाने वालों से कुछ खाद्यान्न मिल भी गया तो उसे पकाने के लिए न तो लकड़ियां मिल पा रही हैं और न ही सुरसा की भांति मुंह फैलाये मंहगाई में गैस सिलेंडर की व्यवस्था हो पा रही है। अस्थायी घरों में खाली बर्तन इधर उधर टकरा रहे हैं। बाढ़ एवं कटान प्रभावित क्षेत्र के पीड़ितों के बीच पहुंचे प्रेस प्रतिनिधि को पाकर ग्रामीणों का दर्द छलक आया।

पीड़ितों की आंखों से छलके आंसुओं ने वह सबकुछ बयां कर दिया जो उनकी सहन क्षमता से भी बाहर था। ग्रामीणों ने अश्रुपूरित आंखों से बताया कि कैसे मनाएंगे धनतेरस, दीपावली, भैयादूज जैसे त्योहार? पीड़ितों का कहना था कि हमारे भी घरों में त्यौहार के मौके पर विभिन्न प्रकार के पकवान बनते थे, दीपों से घर जगमगाया करते थे। आज ऐसा दिन देखने को मिल रहा है कि रहने को घर नहीं रहा, खाने कमाने के लिए लहलहाते फसल युक्त खेत खलिहान थे। वह भी गंगा मईया ने छीन लिया। खानाबदोशों जैसी जिंदगी जीने को विवश हैं।

इन गांवों के हजारों लोग झेल रहे दुश्वारिया

जानकार बताते हैं कि गांजरी क्षेत्र के मेउडी छोलहा, जटपुरवा, बड़हिन पुरवा, फौजदार पुरवा, दुर्गापुरवा, परमेश्वर पुरवा, पासिन पुरवा, खुशीपुरवा, पुत्तीपुरवा आदि गांव के हजारों परिवार के सामने यह विपदा आकर खड़ी हो गई है। बढ़ईन पुरवा के कटान पीड़ित परिवार किशोरगंज से नकहा जाने वाले संपर्क मार्ग, किशोर गंज से काले पुरवा सहित खेत खलियान में रह रहे हैं।

पीड़ित धनीराम, संबारी, केशवराम, बुद्धू, हरद्वारी, छंगा, अभय कुमार, सुशील कुमार, बृजेश मिश्रा, सुजीत कुमार, सतीश कुमार, शिवाकांत, उमाकांत, अमरेंद्र मिश्रा, विमलेश, राजेश, बृजेश दीपक, जयराम, सूरज लाल, किशोरी लाल ने बताया कि खाली बर्तन इधर-उधर लड़ रहे हैं। जैसे तैसे एक वक्त की रोटी का इंतजाम कर अपने-अपने परिवारों का पालन पोषण कर रहे हैं। ऐसे में कैसे बनेंगे घरों में पूड़ी कचौड़ी, घरों में दीपक जलाने के लिए घी की कौन कहे तेल तक नहीं है। जेब में पैसे नहीं हैं। बच्चे तो बच्चे हैं, उन्हें कैसे समझा और बहला फुसला पाएंगे कि सबकुछ बाढ़ व नदी की कटान की भेंट चढ़ गया है।

बाढ़ से दो दर्जन ग्राम पंचायतें प्रभावित

बाढ़ से क्षेत्र की दो दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतें प्रभावित हैं। बाढ़ का पानी गांवों में भरा है। खेतों और गृहस्थी बचाने के लिये ग्रामीण संघर्ष कर रहे हैं। शनिवार को डीएम विशाल भरद्वाज ने बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुंचे दौरा भी किया। इस दौरान बच्चों को बिस्किट वितरित किये गए। चौका-केवानी नदी के जलस्तर में हुई बढोत्तरी के बाद से क्षेत्र के तकरीबन दो दर्जन ग्राम पंचायतों के सैकड़ों मजरे प्रभावित है। खेतों में कई दिनों से पानी भरा है।

रास्तों में पानी भरा होने से आवागमन बाधित है। घरों में कई फिट पानी भरा होने से दो वक्त की रोटी के लाले हैं। आवागमन बाधित होने से ग्रामीणों तक राहत सामग्री पहुंचाने में समस्या हो रही है। धरमपुर, लंघनिया, गौढ़ी, पासिनपुरवा, जब्बारपुरवा, सरजूपुरवा, पट्टी, धोबिनपुरवा, भलवाही, घरथरी, शिवपुर, देवरिया सहित सैकड़ों गांव प्रभावित है। महमूदाबाद-गोड़ैचा, गोड़ैचा-सदरपुर, पोखराकलां-हलीमनगर, चांदपुर बाजार-बासुंरा-रामपुर मथुरा मार्गों पर कई स्थानों पर तेज बहाव के साथ पानी चल रहा है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का डीएम ने किया दौरा

डीएम विशाल भारद्वाज ने शनिवार को महमूदाबाद तहसील क्षेत्रान्तर्गत ग्राम भलवाही मजरा रसूलाबाद का निरीक्षण कर बाढ़ राहत कार्यों को देखा। डीएम ने प्राथमिक विद्यालय ग्राम भलवाही मजरा रसूलाबाद का निरीक्षण भी किया। डीएम ने बाढ़ राहत योजना के तहत कार्यों को समय से पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि राहत सामग्री का वितरण समय से सुनिश्चित किया जाये। चिकित्सा टीमों को क्षेत्र में सक्रिय रहते हुये बाढ़ पीड़ितों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराये जाने के लिए भी निर्देशित किया। डीएम ने सूचित करते हुए कहा कि कि शारदा व घाघरा बैराज से पानी छोड़े जाने से नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। जिससे बाढ़ की स्थिति बन गयी है। जिला मुख्यालय पर बाढ़ आपदा राहत के लिए कंट्रोल रूम संचालित है।

बिजली उपकेंद्र में पानी भरने से आपूर्ति बाधित

बिजली उपकेंद्र में पानी भरने से बिजली आपूर्ति तीन दिनों के लिए बंद की गई। आपूर्ति ठप होने से करीब 50 हजार से अधिक की आबादी को अंधेरे में राते गुजारनी पड़ेंगी। बांसुरा स्थित विद्युत उपकेंद्र के स्विचयार्ड में बाढ़ का पानी भर जाने से सभी संयंत्र पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। कंट्रोल केबल, एचवी केबिल सभी पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। विद्युत उपकरण की सुरक्षा व विद्युत दुर्घटना होने की संभावना को देखते हुए तीन दिनों या जलस्तर कम होने तक विद्युत आपूर्ति बन्द कर दी गई है। यह जानकारी एसएसओ प्रदीप कुमार सिंह ने दी।

विधायक ने बांटे लंच पैकेट

क्षेत्र में आयी भीषण बाढ से धनपुरिया, सिरकिंडा, इटौवा, पलौली, प्यारापुर, शुक्लनपुरवा, बरियारी, कल्ली, खजुरा आदि दो दर्जन से अधिक गांवों में बाढ का पानी भर गया था। बाढ पीडितों की समस्याओं को देखते हुये लहरपुर विधायक सुनील वर्मा ने शनिवार को क्षेत्र का दौरा किया। विधायक ने पीडितों के गांवों में लंच पैकैटों का वितरण कराया है।

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