बरेली: दरगाह से इस्लामियां तक, आला हजरत-आला हजरत

बरेली, अमृत विचार। इस्लामियां ग्राउंड और दरगाह आला हजरत पर 103वां उर्स-ए-रजवी चल रहा है। दरगाह से लेकर इस्लामियां तक मसलके आला हजरत के नारों की गूंज है। सोमवार सुबह 8 बजे तकरीर शुरू होगी। दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर आला हजरत का कुल शरीफ होगा। इसके साथ ही तीन दिवसीय उर्स का समापन …
बरेली, अमृत विचार। इस्लामियां ग्राउंड और दरगाह आला हजरत पर 103वां उर्स-ए-रजवी चल रहा है। दरगाह से लेकर इस्लामियां तक मसलके आला हजरत के नारों की गूंज है। सोमवार सुबह 8 बजे तकरीर शुरू होगी। दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर आला हजरत का कुल शरीफ होगा। इसके साथ ही तीन दिवसीय उर्स का समापन होगा।
रविवार को उर्स-ए-रजवी के दूसरे दिन का आगाज फजर की नमाज के बाद कुरानख्वानी से हुआ। सभी कार्यक्रम दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी की सदारत समेत उर्स प्रभारी सैयद आसिफ मियां की देखरेख में हुए। सुबह 8 बजे महफिल का आगाज कारी सखावत ने तिलावत-ए-कुरान से किया।
उर्स के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि हाजी गुलाम और आसिम नूरी ने मिलाद का नजराना पेश किया। निजामत कारी युसुफ रजा संभली ने की। मदरसा मंजर-ए-इस्लाम के शिक्षक मुफ्ती आकिल, मुफ्ती सलीम नूरी, मुफ्ती अफरोज आलम, मुफ्ती जमील, मौलाना अख्तर, मुफ्ती मोइनुद्दीन की मौजदूगी में उलेमा की तकरीर का सिलसिला चलता रहा। खुसूसी खिताब मुफ्ती अय्यूब, मौलाना डा. एजाज अंजुम, कारी अब्दुर्रहमान कादरी, मौलाना स्वाले हसन, मौलाना अबु बकर मौलाना कमर रजा ने खिताब किया।
सभी वक्ताओं ने सुन्नियत और आला हजरत के मिशन पर रोशनी डाली। आला हजरत के मिशन को फरोग देने वाले हुज्जातुल इस्लाम, मुफ्ती आजम हिन्द, मुफस्सिर-ए-आजम और रेहान ए मिल्लत की जिंदगी और कारनामों को याद कर खिराज पेश किया। सुबह 9:58 बजे रेहान-ए-मिल्लत और 10:40 बजे हजरत जिलानी मियां के कुल की रस्म अदा की गई। कारी सखावत ने फातिहा पढ़ी। शजरा कारी अब्दुर्रहमान कादरी ने पढ़ा। खुसूसी दुआ मुफ्ती अनवर अली ने की।
उर्स की व्यवस्था में हाजी जावेद खान, परवेज़ खान नूरी, औरंगजेब नूरी, शाहिद नूरी, अजमल नूरी, ताहिर अल्वी, सय्यद फैज़ान अली, ज़हीर अहमद,मंज़ूर खान, मोहसिन रज़ा, शान रज़ा, तारिक सईद, आलेनबी, इशरत नूरी, सय्यद फ़रहत, हाजी अब्बास नूरी, अब्दुल वाजिद खान, गौहर खान, अदनान खान, काशिफ खान, सुहैल रज़ा चिश्ती, सय्यद एजाज़, आसिफ रज़ा, सय्यद माजिद, ज़ोहिब रज़ा, यूनुस गद्दी, अनीस खान, सबलू अल्वी, फ़ैज़ी खान, काशिफ सुब्हानी, समीर रज़ा, साकिब रज़ा, अमन रज़ा, शाद रज़ा, इरशाद रज़ा, रईस रज़ा, अश्मीर रज़ा, अरबाज़ रज़ा, कामरान खान, ज़ीशान कुरैशी, मुजाहिद बेग, खलील क़ादरी, सुहैल रज़ा, जुनैद मिर्ज़ा, आसिफ नूरी, हाजी शारिक नूरी, आरिफ नूरी, शारिक बरकाती, सय्यद मुदस्सिर अली, अनीस खान, माजिद खान, समी रज़ा, तहसीन रज़ा, आसिम हुसैन, हस्सान रज़ा, मुलतज़म कुरैशी, जुनैद चिश्ती आदि ने संभाली।
बेटियों को दहेज देने की जगह विरासत में हिस्सा दें
दिन में नात-ओ-मनकबत का दौर जारी रहा। मुख्य कार्यक्रम रात 9 बजे शुरू हुआ जिसमें देशभर के नामवर उलेमा की तकरीर हुई। मौलाना मुख्ता बहेड़वी ने कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। मौजूदा हालात के मद्देनजर मुसलमान अपनी बहन-बेटियों की खुद हिफाजत करें। उनको पर्दा करने की ताकीद करें। बेटियां जब शादी लायक हो जाएं तो अच्छा घर देखकर उनकी शादी कर दें। बेटियों को दहेज देने की जगह विरासत में हिस्सा दें।
मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि हमें बुजुर्गों से फैज हासिल करना है तो शरीयत के मुताबिक चलना होगा। उन्होंने नौजवानों को आगाह करते हुए कहा कि वह गुमराही से दूर रहें। आगे कहा कि आज दुनिया भर में मसलक ए आला हज़रत पर जो काम चल रहा है ये सब रेहान-ए-मिल्लत की देन है। खानदान-ए-आला हजरत की आप पहली शख्सियत हैं जिन्होंने यूरोप, अमेरिका, साउथ अफ्रीका आदि मुल्कों के दौरे कर मसलक ए आला हजरत को फरोग देने का काम किया। कारी सखावत ने कहा कि आला हजरत व मुफ्ती आजम हिंद के दर से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटा।
आला हजरत ने मजहबी खिदमात के साथ साइंस पर कलम चलाई। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मौजूदा वक्त में मुसलमानों के सुलगते मसलों पर भी चर्चा की। मौलाना जहिद रजी, मौलाना बाशीरुल कादरी, मुफ्ती अनवर हुसैन आदि ने भी खिताब किया। देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आजम हिंद के कुल की रस्म अदा की गई। कार्यक्रम देर रात तक जारी था।