बरेली: एमएसपी में वृद्धि से नाखुश किसान बोले- सरकार ने किया मजाक

बरेली, अमृत विचार। कोरोना काल में परेशान किसानों को फिर मायूसी हाथ लगी। जनपद की मुख्य फसलों में शामिल गन्ना और धान के समर्थन मूल्य में मामूली वृद्धि से किसान पहले से निराश थे। अब केंद्र सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में महज 40 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया तो किसानों ने …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना काल में परेशान किसानों को फिर मायूसी हाथ लगी। जनपद की मुख्य फसलों में शामिल गन्ना और धान के समर्थन मूल्य में मामूली वृद्धि से किसान पहले से निराश थे। अब केंद्र सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में महज 40 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया तो किसानों ने इसे मजाक करार दिया है।
इस बढ़ोतरी को नाकाफी बता रहे किसानों का तर्क है जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, उससे फसलों की लागत में इजाफा हो रहा है। खासकर डीजल और कीटनाशक की महंगाई ज्यादा प्रभावित कर रही है। प्रति एकड़ कृषि लागत दो हजार रुपये तक बढ़ गई है। ऐसे में गेहूं सहित अन्य फसलों के समर्थन मूल्य की वृद्धि को वह नाकाफी बताते हुए भद्दा मजाक बता रहे हैं।
उनका मानना है कि यही हाल रहा तो खेती किसानी करना मुश्किल हो जाएगा। किसान नेताओं ने इसे पूंजिपतियों को लाभ पहुंचाने की साजिश बताते हुए सरकार से लागत के सापेक्ष गेहूं का समर्थन मूल्य तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ने की मांग की है।
एक बीघा गेहूं की लागत 2910 रुपये
एक बीघा गेहूं की खेती की लागत औसतन 2910 रुपये बैठती है। इसमें बीज, कटाई एवं थ्रेसिंग पर खर्च 1400 रुपये, यूरिया-डीएपी पर 510 रुपये, जुताई पर 500 रुपये खर्च आता है। कीटनाशक एवं खरपतवार नियंत्रण पर 250 रुपये और सिंचाई पर खर्च 250 रुपये के करीब रहता है। इसमें किसान के श्रम की कीमत शामिल नहीं है। जबकि प्रति बीघा उत्पादन औसतन ढाई क्विंटल होता है। -सर्वेश, प्रगतिशील किसान, हाफिजगंज
डीजल सहित अन्य खेती में प्रयोग होने वाली वस्तुएं लगातार मंहगी हो रही हैं, जिससे फसलों की लागत में तेजी से इजाफा हो रहा है। रबी फसलों की एमएसपी पर की गई वृद्धि से किसान खुश नहीं हैं। फसलों की लागत के साथ ही जमीन का किराया और किसान की मेहनत को भी जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होना चाहिए था। -गजेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष भाकियू
खेती किसानी अब बहुत मुश्किल हो रही है। फसलों के उत्पादन में हो रहे खर्च, बच्चों की पढ़ाई व उच्च शिक्षा के लिए फीस जुटाने में परेशानी आ रही है। किसानों के सामने कर्ज लेने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। वहीं अन्य घरेलू खर्च से किसान पहले से बेहाल हैं। अब सरकार 40 रुपये बढ़ाकर जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। -शुजा खान, सपा
गेहूं के दाम में नाममात्र वृद्धि ऊंट के मुहं में जीरा सामान है। किसानों की समस्या के लिए अर्थशास्त्री सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) में बैठे अर्थशास्त्री उत्पादन लागत की गणना सही तरीके से नहीं करते हैं, जिसकी वजह से एमएसपी हमेशा कम हो जाती है। किसानों ने देश को फेल नहीं किया है बल्कि अर्थशास्त्रियों ने किसानों को फेल कर दिया है। – हरीश गंगवार, कृषि विशेषज्ञ