बरेली: जीएसटी के चार साल बीते, नहीं दूर हो सकी विसंगतियांं

बरेली: जीएसटी के चार साल बीते, नहीं दूर हो सकी विसंगतियांं

बरेली, अमृत विचार। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू हुए चार साल से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान जीएसटीएन पोर्टल पर कई बदलाव हुए लेकिन तमाम विसंगतियां अब भी दूर नहीं हो सकीं। अब जीएसटीएन पोर्टल पर रिजेक्ट ऑप्शन की व्यवस्था न होने से तमाम ऐसे व्यापारियों को टैक्स और जुर्माना अदा करना …

बरेली, अमृत विचार। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू हुए चार साल से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान जीएसटीएन पोर्टल पर कई बदलाव हुए लेकिन तमाम विसंगतियां अब भी दूर नहीं हो सकीं। अब जीएसटीएन पोर्टल पर रिजेक्ट ऑप्शन की व्यवस्था न होने से तमाम ऐसे व्यापारियों को टैक्स और जुर्माना अदा करना पड़ रहा है जो माल उन्होंने खरीदा ही नहीं है।

जीएसटी लागू होने पर व्यापारियों को भरोसा दिलाया गया था उनकी समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता पर होगा। इसको लेकर जीएसटी काउंसिल की तरफ से पोर्टल और रिटर्न फार्मो में कई सुधार किए जा चुके हैं, लेकिन ऑनलाइन व्यवस्था की विसंगतियों से व्यापारी बेहद परेशान हैं। उनका कहना है जीएसटीआर-1 में कुछ ऐसी खरीद भी पोर्टल पर दिखाई देती है, जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं होता। न तो व्यापारी द्वारा खरीद की गई होती और न ही उसका भुगतान किया गया होता है।

आइटीसी का लाभ भी व्यापारी नहीं लेता फिर भी पोर्टल पर खरीद दिखाई देने पर नोटिस जारी कर दिया जाता है। व्यापारी के जवाब से अधिकारी के संतुष्ट होने पर टैक्स नहीं जमा करना पड़ता है। मगर, असंतुष्ट हुए तो जुर्माने के साथ टैक्स का निर्धारण कर दिया जाता है। ऐसे में व्यापारी के पास दो उपाय ही बचते हैं। या तो वह टैक्स जमा करे या अपील में जाए। सीए तसलीम बताते हैं कि जीएसटी लागू होने के कुछ महीने तक जीएसटीआर-1 में गलत खरीद दिखाई देने पर पोर्टल से रिजेक्ट की व्यवस्था थी पर बाद में व्यवस्था समाप्त कर दी गई। अफसर भी मानते हैं कि कई बार व्यापारी के पोर्टल पर गलत खरीद दिखाई पड़ती है। इसलिए इसमें सुधार की आवश्यक्ता है।