विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस- प्रदेश में हर 16 में से एक व्यक्ति मानसिक रोगी
अमृत विचार, लखनऊ। मानसिक स्वस्थ्य आजकल ज्यादातर व्यक्तियों के लिए समस्या बन चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा दिक्कत यह है कि करीब 85 प्रतिशत मानसिक रोग से जूझ रहे लोग इलाज के लिए आगे ही नहीं आते। क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि वह मानसिक बीमारी में सफर कर रहे हैं। इनमें से …
अमृत विचार, लखनऊ। मानसिक स्वस्थ्य आजकल ज्यादातर व्यक्तियों के लिए समस्या बन चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा दिक्कत यह है कि करीब 85 प्रतिशत मानसिक रोग से जूझ रहे लोग इलाज के लिए आगे ही नहीं आते। क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि वह मानसिक बीमारी में सफर कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर मादक पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति होते हैं। यह कहना है राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे-2015-16 में आई उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट का।
सर्वे के दौरान पयाा गया कि हर 16 में से एक व्यक्ति किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी की चपेट में है, या यूं कहें कि हर चौथे-पांचवें घर में एक व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार पाया जाता है। इस सर्वे के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि 18 वर्ष की उम्र से ऊपर के करीब 15 मिलियन लोग यूपी में मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं।
मानसिक रोग को नहीं करते स्वीकार
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफ़ेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी का कहना है कि ऐसा देखने में आता है कि लोग शुरूआती दौर में यह मानने को ही नहीं तैयार होते कि उन्हें कोई मानसिक दिक्कत है। साल-दो साल में जब समस्या बढ़ जाती है तो वह चिकित्सक के पास पहुँचते हैं। इस अंतराल को दूर करना बहुत जरूरी है क्योंकि शुरूआती दौर में समस्या का निदान ज्यादा आसान होता है। जानकारी का अभाव, शर्म, हिचक, डर और सामाजिक बहिष्कार जैसी सोच के साथ ही ऐसे मरीजों में घर-परिवार द्वारा देखभाल में कमी होना इसके प्रमुख कारण हैं।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक़ – सर्वेक्षण के दौरान ग्रुप डिस्कशन, साक्षात्कार व अन्य प्रमुख स्रोतों के माध्यम से उपचार के लिए आगे न आने के प्रमुख कारण सामने आये। जिसमें पता चलता है कि मानसिक बीमारी से जूझ रहे लगभग 70-80% लोग इसे पारंपरिक तरीकों से ठीक करने की कोशिश करते हैं। वह मजार व अन्य धार्मिक स्थलों पर तांत्रिक व बाबा की मदद लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सही जानकारी न होना, समाज का डर, शर्म, पैसे की कमी और साथ ही योग्य चिकित्सकों के न मिलने की वजह से मानसिक बीमारी को लेकर लोगों की गलत धारणाएं जैसे बुरी आत्माओं का प्रभाव जैसी बातों की वजह से लोग इसके इलाज को प्राथमिकता नहीं देते।
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