580 साल का सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण कल, जानें कहां नज़र आएगा, कहां नहीं…

580 साल का सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण कल, जानें कहां नज़र आएगा, कहां नहीं…

इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 शुक्रवार को है। इसके चंद्र ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद 4 दिसंबर 2021 को एक सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण 580 साल के बाद लगने वाला है जोकि सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि करीब साढ़े …

इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 शुक्रवार को है। इसके चंद्र ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद 4 दिसंबर 2021 को एक सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण 580 साल के बाद लगने वाला है जोकि सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि करीब साढ़े तीन घंटे की रहने वाली है।

चंद्र ग्रहण की अवधि ज्‍यादा होने के बाद लोग ज्‍यादा देर तक इस अद्भुत खगोलीय घटना का अनुभव ले सकेंगे। भारत में यह चंद्र ग्रहण दोपहर को 12:48 बजे से 04:17 मिनट तक होगा। इससे पहले इतना लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण 1440 में लगा हुआ था, वहीं 19 नवंबर 2021 के बाद अब 8 फरवरी 2669 में इतना लंबा चंद्र ग्रहण होगा। यानी कि 648 साल बाद ऐसा ग्रहण होगा।

इस ग्रहण का सूतक काल नहीं लगेगा। क्योंकि ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष अनुसार इस ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता। जिस कारण इसका धार्मिक महत्व नहीं माना जाता।

कहां देगा दिखाई चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों अरुणाचल प्रदेश और असम में दिखाई देगा। इसके अलावा ये ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया, रूस, चीन और अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा। भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखेगा जब्कि बाकी जगहों पर आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।

वृषभ राशि में लगेगा चंद्र ग्रहण
इस ग्रहण के शुभ प्रभाव की बात करें तो तुला, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए चंद्र ग्रहण शुभ साबित हो सकता है। हर कार्य में सफलता मिलने के योग बन रहे हैं। चंद्र ग्रहण वृषभ राशि में लगने जा रहा है। इसलिए इस राशि समेत सिंह, मेष और वृश्चिक राशि वालों को भी सावधान रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। धन हानि की संभावना रहेगी।

कैसे पड़ता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण
आंशिक ग्रहण, पूर्ण ग्रहण और उपच्छाया ग्रहण। उपच्छाया ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश नहीं करता और उसकी उपच्छाया में आकर वहीं से ही बाहर निकल आता है। इस ग्रहण के समय चंद्रमा के रंग और आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है।

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