विपक्ष ने बाल श्रम के आकड़ों के जवाब को लेकर सरकार को घेरा

विपक्ष ने बाल श्रम के आकड़ों के जवाब को लेकर सरकार को घेरा

नई दिल्ली। देश में परिवार के साथ मजदूरी करने वाले बच्चों के आंकड़े उपलब्ध नहीं होने संबंधी जवाब पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने सोमवार को लोकसभा में सरकार को घेरते हुए कहा कि ‘आंकड़ों पर आधारित परियोजना’ चलाने की बात करने वाली सरकार में बाल श्रमिकों का आंकड़ा …

नई दिल्ली। देश में परिवार के साथ मजदूरी करने वाले बच्चों के आंकड़े उपलब्ध नहीं होने संबंधी जवाब पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने सोमवार को लोकसभा में सरकार को घेरते हुए कहा कि ‘आंकड़ों पर आधारित परियोजना’ चलाने की बात करने वाली सरकार में बाल श्रमिकों का आंकड़ा नहीं होना दुखद है।

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के मणिकम टैगोर, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और बसपा के रीतेश पांडेय ने बाल श्रमिक के आंकड़ों को लेकर सरकार के जवाब पर सवाल खड़े किए। मूल प्रश्न में शिवसेना के सदाशिव लोखंडे ने पूछा था कि क्या सरकार के पास विद्यालय जाने वाले ऐसे बच्चों का डेटा है जो बतौर मजदूर अपने परिवार के साथ मजदूरी करने में लगे हुए हैं?

इसके लिखित जवाब में श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा, ” जी नहीं। इस मंत्रालय द्वारा इस तरह का कोई डेटा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है।” इस पर कांग्रेस सांसद टैगोर ने पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा कि बाल श्रमिकों के बारे में डेटा नहीं होना दुखद है, वह भी तब जब प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ‘आंकड़ों पर आधारित परियोजना’ चलाने की बात करते हैं।

वहीं, श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि बाल श्रम को लेकर हमारे पास आंकड़े उपलब्ध हैं लेकिन यह सवाल परिवार के साथ मजदूरी करने वाले बच्चों से जुड़ा हुआ है और ये आंकड़े गतिशील (डायनामिक) होते हैं और कोई भी सरकार ऐसा डेटा नहीं रखती है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि मंत्री कह रहे हैं कि ये आंकड़े गतिशील होते हैं, तब क्या वे बतायेंगे कि क्या इसका कोई स्थिर आंकड़ा मौजूद है।

बनर्जी ने कहा कि ऐसी भी रिपोर्ट आ रही है कि कोरोना महामारी के कारण 90 लाख बच्चे बाल श्रम में धकेले जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने पूछा कि इस बारे में सरकार की क्या योजना है और वह क्या करना चाहती है। इसके जवाब में श्रम एवं रोजगार मंत्री यादव ने कहा कि जहां तक बाल श्रम का प्रश्न है, हमने जिला स्तर पर कार्य बल बनाया है और इसका संचालन जिला मजिस्ट्रेट की देखरेख में होता है।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जोखिम भरे कार्य क्षेत्रों को लेकर बच्चों के कल्याण को देखते हुए 2016 में हम नियमों में संशोधन लाए। वहीं, बसपा के रीतेश पांडेय ने बाल श्रम का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने कहा है कि आंकड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम सरकार से जानना चाहते हैं कि क्या उसके पास कोई ऐसा शोध है कि महामारी के दौरान कितने बच्चे बाल मजदूरी में धकेल दिये गए हैं?

इस पर श्रम मंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान हमारे मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी किये थे, हमने जिला स्तर पर कार्य बल बनाए तथा मंत्रालय ने पेंसिल पोर्टल बनाया है जिस पर बाल श्रम को लेकर शिकायतों के निस्तारण की व्यवस्था की गई है।

 

 

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