जौन एलिया
साहित्य 

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था आने वालों से क्या मतलब आते …
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साहित्य 

ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं

ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं हो रहा हूँ मैं किस तरह बरबाद देखने वाले हाथ मलते हैं है वो जान अब हर एक महफ़िल की हम भी अब घर से कम निकलते हैं है उसे दूर का सफ़र दर-पेश हम सँभाले नहीं सँभलते हैं क्या तकल्लुफ़ करें ये …
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साहित्य 

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारे बा’द भला क्या हैं वअदा-ओ-पैमाँ बस अपना वक़्त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारे हिज्र की शब-हा-ए-कार में जानाँ कोई चराग़ जला लूँ अगर इजाज़त हो जुनूँ वही है वही मैं मगर है शहर नया यहाँ भी शोर …
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