रिपोर्ट में दावा- फेसबुक ने फिलिस्तीनी उपयोगकर्ताओं के अधिकारों का किया हनन
कैलिफोर्निया। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गाजा में पिछले साल हुए संघर्ष के दौरान फेसबुक और उसकी मातृ कंपनी मेटा द्वारा उठाए गए कदमों से फिलिस्तीनी उपयोगकर्ताओं के अभिव्यक्ति की आजादी, समूह में रहने और राजनीतिक भागीदारी के अधिकारों सहित कई अन्य अधिकारों का हनन हुआ था। स्वतंत्र परामर्श कंपनी ‘बिजनेस …
कैलिफोर्निया। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गाजा में पिछले साल हुए संघर्ष के दौरान फेसबुक और उसकी मातृ कंपनी मेटा द्वारा उठाए गए कदमों से फिलिस्तीनी उपयोगकर्ताओं के अभिव्यक्ति की आजादी, समूह में रहने और राजनीतिक भागीदारी के अधिकारों सहित कई अन्य अधिकारों का हनन हुआ था।
स्वतंत्र परामर्श कंपनी ‘बिजनेस फॉर सोशल रेस्पांस्बिलिटी’ द्वारा गुरुवार को जारी रिपोर्ट ने मेटा की नीतियों और उसके भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर कंपनी की लंबे समय से हो रही आलोचनाओं की पुष्टि की। रिपोर्ट इजराइलियों और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष से संबंधित है। इसमें दावा किया गया है कि कंपनी ने अरबी सामग्री पर ज्यादा सख्त नियम लागू किए और हिब्रू में जारी पोस्ट के संबंध में नरमी बरती। हालांकि, रिपोर्ट में मेटा या उसके कर्मचारियों पर जानबूझकर पक्षपात करने का आरोप नहीं लगाया गया है।
रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारियों ने कहा कि उन्हें ‘संचालन दल के संबंध में नस्ली, जातीय, राष्ट्रीय या धार्मिक भेदभाव के साक्ष्य नहीं मिले हैं।’ उन्होंने माना कि मेटा में ‘विभिन्न विचारधारा, राष्ट्रीयता, नस्ल, जाति और धर्म के कर्मचारी कार्यरत हैं।’ बावजूद इसके रिपोर्ट में अनपेक्षित पूर्वाग्रह के कई उदाहरण दिए गए हैं, जिनके चलते फलस्तीनी और अरबी भाषा के उपयोगकर्ताओं के अधिकारों का हनन हुआ।
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मेटा ने कहा कि कंपनी इसमें की गई कुछ सिफारिशों को लागू करने की योजना बना रही है, जिसमें हिब्रू-भाषा के ‘वर्गीकारक’ (क्लासिफायर) में सुधार करना शामिल है। ‘वर्गीकारक’ कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल कर नियमों का उल्लंघन करने वाले पोस्ट को स्वत: हटा देते हैं।
कैलिफोर्निया स्थित कंपनी ने गुरुवार को जारी एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, ‘‘कोई जल्दबाजी नहीं है। इन सिफारिशों को एक रात में लागू नहीं किया जा सकता है।’’ मेटा ने कहा, ‘‘सुधार की प्रक्रिया के तहत हमने पहले ही कई अहम बदलाव किए हैं। चूंकि, सिफारिशों को लागू करने के तरीकों को समझना और यह पता लगाना जरूरी है कि इन्हें लागू करना संभव है या नहीं, इसलिए पूरी प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा।’’
रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि मेटा ने सुधारों को लागू करने में कुछ गंभीर त्रुटियां की हैं। उदाहरण के तौर पर, पिछले साल मई में गाजा में संघर्ष छिड़ने के बाद इंस्टाग्राम ने हैशटैग अल-अक्सा पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। यह हैशटैग यरूशलम के पुराने शहर में स्थित अल-अक्सा मस्जिद के संदर्भ में था, जो संघर्ष का केंद्र थी। हालांकि, इंस्टाग्राम का मलिकाना हक रखने वाली मेटा ने बाद में इस बाबत माफी मांगी थी और कहा था कि उसके एल्गॉरिद्म ने इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल (अल-अक्सा मस्जिद) को गलती से आतंकवादी समूह अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड समझ लिया था, जो फतह पार्टी की एक सशस्त्र इकाई है।
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