रामपुर : उत्तराखंड बार्डर पर लग रहे उद्योग, रामपुर का युवा खाली हाथ

रामपुर : उत्तराखंड बार्डर पर लग रहे उद्योग, रामपुर का युवा खाली हाथ

अखिलेश शर्मा/रामपुर, अमृत विचार। जिले के उद्योग विभाग के आंकड़ों में जिले में उद्योग बढे़ हुए दिख रहे हैं। लेकिन, वे उद्योग उत्तराखंड के बार्डर पर बढ़ रहे हैं। रामपुर की सीमाएं उत्तराखंड राज्य के काशीपुर, रुद्रपुर जैसे नगरों से सटी हैं। मजबूरन वहां जब फैक्ट्री लगती है तो रामपुर की सस्ती जमीन मिल जाती है। …

अखिलेश शर्मा/रामपुर, अमृत विचार। जिले के उद्योग विभाग के आंकड़ों में जिले में उद्योग बढे़ हुए दिख रहे हैं। लेकिन, वे उद्योग उत्तराखंड के बार्डर पर बढ़ रहे हैं। रामपुर की सीमाएं उत्तराखंड राज्य के काशीपुर, रुद्रपुर जैसे नगरों से सटी हैं। मजबूरन वहां जब फैक्ट्री लगती है तो रामपुर की सस्ती जमीन मिल जाती है। पंजीकरण रामपुर उद्योग केंद्र में हो जाता है। लेकिन, इससे रामपुर के अवाम को कोई फायदा नहीं मिलता।

क्योंकि इन फैक्ट्रियों का जुड़ाव सीधे उत्तराखंड के नगरों से ही है। वहीं के युवाओं को इन फैक्ट्रियों में नौकरियां मिलती हैं। लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में उद्योग धंधे और बेरोजगारी मुद्दा नहीं बन रही है। रामपुर का युवा रोजगार के मामले लगातार पिछड़ रहा है।

नौ इकाइयां लगीं, रामपुर के युवाओं को लाभ नहीं : वर्ष 2019-2020 में अभी तक 50 करोड़ की लागत से यहां नौ इकाइयां लगी हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों के उद्यमियों ने भी यहां 50 करोड़ रुपये के निवेश की इच्छा जताई है। इसके तहत उत्तराखंड के छह उद्यमियों ने यहां इंडस्ट्रीज लगाने के लिए जिला उद्योग केंद्र को प्रस्ताव भेजे, जिन्हें स्थापित करने के लिए उद्योग केंद्र द्वारा प्रयास किए गए हैं। उत्तराखंड से मिले छह प्रस्तावों में स्टील इंडस्ट्री, वुड बेस इंडस्ट्रीज, राइस ब्रान ऑयल, पेपर इंडस्ट्रीज, विनीयर आदि शामिल हैं। एक बिलासपुर के डिबडिबा में पांच करोड़ की लागत से विनियर प्लांट लगा है। इसके अलावा टांडा में भी उत्तराखंड के उद्यमी ने तीन करोड़ की लागत से राइस मिल लगाई है।

समस्याओं से जूझ रहे उद्यमी: जिले के उद्यमी और उद्योग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी समस्याओं को किसी भी पटल पर गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड, औद्योगिक भवनों का हाउस टैक्स आवासीय भवनों से कम करने की मांग काफी पुरानी है। लिहाजा उद्यमी समस्याओं के निराकरण को आवाज और बुलंद कर रहे हैं। इंडियन इंडस्टीज एसोसिशन रामपुर चेप्टर चेयरमैन एसके गुप्ता ने पिछले दिनों ही उद्यमियों की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया था। प्रदेश के सभी सरकारी विभाग अपनी खरीद का 30 प्रतिशत सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों से खरीदें।

2022 में पांच इकाइयां लगाने के प्रस्ताव
उपायुक्त उद्योग को 2022 में पांच नई इकाइयां स्थापित करने के प्रस्ताव मिले हैं। इनमें स्वाति कैम्पर, बालाजी पेपर प्रोडक्ट्स, सारा इंटरप्राइजेज, क्वालिटी ऐरोमैटिक्स और फिरोज अहमद की आयरन वर्क्स इंडस्ट्री शामिल हैं। इनके माध्यम से जिले में 114.75 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिसमें सिर्फ स्वाति कैम्पर सौ करोड़ रुपये निवेश करेगी। नए उद्योगों के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सृजित होने की बात की गई है। इन उद्योगों के माध्यम से 660 लोगों को प्रत्यक्ष व करीब दो हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा।

जिले को औद्योगिक विकास की जरूरत है। उत्तराखंड के बार्डर पर उद्योग लगने से जिले के लोगों का विकास कितना हुआ है, सब जानते हैं। बार्डर पर लगे उद्योग सिर्फ पंजीकृत तो रामपुर में हैं। लेकिन यहां के कितने युवाओं को वहां नौकरी मिल रही है। इस सवाल पर सरकार के नुमाइंदे जवाब दें। किसी भी सरकार ने रामपुर के औद्योगिक विकास विचार नहीं किया। अगर उद्योग बंद नहीं होते तो रामपुर औद्योगिकीकरण में कानपुर से भी आगे होता। उद्योग धंधे नहीं होने से ही रामपुर का बाजार हल्का होता जा रहा है। युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। –संदीप अग्रवाल सोनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल।