पीलीभीत: ठेंगे पर एसडीएम का आदेश, राजनीति दबाव में पुलिस
पीलीभीत/माधोटांडा, अमृत विचार। दबंगई करते हुए जमीन पर कब्जे की कोशिश और विरोध करने पर पट्टाधारकों पर हमला करने के मामले में माधोटांडा पुलिस की कार्यशैली शुरुआत से ही विवादित बनी हुई है। पहले सूचना के बाद एक्शन लेने के बजाय टालमटोल करने के आरोप में पुलिस घिरी रही। उसके बाद अब गिरफ्तारी न होने …
पीलीभीत/माधोटांडा, अमृत विचार। दबंगई करते हुए जमीन पर कब्जे की कोशिश और विरोध करने पर पट्टाधारकों पर हमला करने के मामले में माधोटांडा पुलिस की कार्यशैली शुरुआत से ही विवादित बनी हुई है। पहले सूचना के बाद एक्शन लेने के बजाय टालमटोल करने के आरोप में पुलिस घिरी रही। उसके बाद अब गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। एसडीएम लगातार हमलावरों की धरपकड़ के निर्देश दे रही है।
मगर, पुलिस सिर्फ आरोपियों के घर पर न मिलने की बात कहकर साख बचा रही है। चर्चा तो यह भी है कि आरोपियों ने एक नेताजी की शरण प्राप्त कर ली है। उन्हीं का दबाव पुलिस पर काम कर रहा है। ग्राम राजपुर ताल्लुके महाराजपुर के 11 लोगों को एक-एक एकड़ जमीन 1989 में ग्राम पचपेड़ा ताल्लुके महाराजपुर में पट्टे पर मिली थी। पट्टे की इस जमीन पर सभी खेती कर रहे थे।
करीब 10 साल पहले कुछ दबंगों ने उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया था। 21 जून को लेखपाल-कानूनगो ने पट्टेदारों को कब्जा दिलाया तो सोयाबीन की फसल बो दी गई थी। उसके बाद 13 जुलाई को बड़ी संख्या में दबंग लाठी डंडे और असलाह लेकर खेतों पहुंचे और जबरन खेत की ट्रैक्टरों से जुताई कर दी। विरोध करने पर पट्टाधारकों को पीटा गया था।
आरोप था कि सूचना देने पर पहले माधोटांडा पुलिस और कलीनगर प्रशासन ने टालमटोल रवैया अपनाया था। पुलिस ने 20 लोगों को नामजद कर रिपोर्ट दर्ज की है। मगर, कई दिन बीतने के बाद भी अभी तक एक की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। जिससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ गए हैं।
बताते हैं कि आरोपी राहत पाने को राजनीतिक शरण में पहुंच गए हैं। इसी दबाव का असर है कि एसडीएम कलीनगर के बार-बार निर्देशित करने के बाद भी धरपकड़ नहीं हो सकी है। पुलिस दबिश के नाम पर औपचारितकता निभा रही है। आरोपियों के घर पर घूमने की बात भी खुलकर कही जा रही है। मगर, पुलिस किसी के भी न मिलने का राग अलापती दिखाई दे रही है।
किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही है, न ही कोई दबाव है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई बार दबिश दी गई, लेकिन वह नहीं मिले। सुरागरसी करा रहे हैं— सुरेंद्र कुमार, माधोटांडा इंस्पेक्टर।
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