प्रशांत किशोर को कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया, वह भाजपा के लिए काम कर रहे हैं: JDU अध्यक्ष

पटना। जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शनिवार को आरोप लगाया कि चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर बिहार में पैठ बनाने के वास्ते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘पेशकश’ को ठुकराने के किशोर के दावे को खारिज करते …

पटना। जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शनिवार को आरोप लगाया कि चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर बिहार में पैठ बनाने के वास्ते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘पेशकश’ को ठुकराने के किशोर के दावे को खारिज करते हुए सिंह ने कहा कि किशोर ‘राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि व्यवसायी’ हैं, जो ‘मार्केटिंग’ रणनीति का सहारा लेते हैं।

जद(यू) अध्यक्ष ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आर सी पी सिंह के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम जानते हैं कि प्रशांत किशोर कुछ समय से भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। भाजपा का एक एजेंट हाल में मजिस्ट्रेट चेकिंग के दौरान पकड़ा गया था।’

आर सी पी सिंह ने कहा, ‘भाजपा बिहार में साजिशों पर भरोसा कर रही है। पहले उसने आर सी पी सिंह का इस्तेमाल किया और अब वह प्रशांत किशोर का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन हम सतर्क हैं। हम इन साजिशों को सफल नहीं होने देंगे।’ जद (यू) अध्यक्ष की टिप्पणी के कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की बैठक हुई थी। इसके बाद किशोर ने दावा किया था कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के साथ सीधी स्पष्ट बात की थी।

किशोर ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि शराबबंदी, जो उनके सबसे पसंदीदा कदमों में से एक है, राज्य में पूरी तरह से विफल रहा है और इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। किशोर ने हाल में ‘जन सुराज’ अभियान शुरू किया, जिसके तहत वह अगले महीने 3,500 किलोमीटर लंबी राज्यव्यापी ‘पदयात्रा’ शुरू करेंगे। किशोर ने कुमार के एक खास प्रस्ताव को भी ठुकराने का दावा किया।

सिंह ने दावा किया, ‘बिहार में नयी राजनीतिक स्थिति बनने के बाद प्रशांत किशोर नीतीश कुमार से मिलना चाहते थे। उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की, जिन्होंने उन्हें पहले पार्टी अध्यक्ष से बात करने के लिए कहा। इसलिए वह नयी दिल्ली में मुझसे मिलने आए।’ जद(यू) अध्यक्ष ने दावा किया, ‘मैंने उनसे कहा कि पार्टी में उनकी वापसी पर विचार किया जा सकता है, अगर वह पार्टी के अनुशासन का पालन करने के लिए सहमत हों।

इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात का समय लिया, जो उनसे मिलने के लिए राजी हुए और समय दिया। लेकिन, अपनी ‘मार्केटिंग’ रणनीति के तहत, उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया है, लेकिन वह नहीं जाएंगे।’ सिंह ने कहा, ‘बाद में, पवन वर्मा के नीतीश कुमार से मिलने के बाद, वर्मा ने किशोर के साथ बात की। किशोर ने फिर से मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा व्यक्त की और वे मिले। लेकिन कोई उन्हें कोई प्रस्ताव क्यों देगा? वह कौन हैं?’

उल्लेखनीय है कि किशोर 2014 में तब चर्चा में आए, जब उनकी कंपनी आईपैक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार सफल प्रचार अभियान को संभाला, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री और लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। एक साल बाद, कुमार ने किशोर की कंपनी की सेवाएं लीं, जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे।

कुमार के चिर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद और कांग्रेस के साथ गठबंधन ने प्रधानमंत्री के सघन अभियान के बावजूद महागठबंधन ने भाजपा को पछाड़ दिया। किशोर को बाद में बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। यह कैबिनेट मंत्री रैंक का पद था।

हालांकि, इस दौरान किशोर ने अन्य राजनीतिक हस्तियों के लिए पेशेवर तरीके से काम करना जारी रखा। कुमार जब 2018 में जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उन्होंने किशोर को पार्टी में शामिल किया और उन्हें कुछ हफ्तों के भीतर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया। हालांकि, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए)-राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर)-राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ किशोर की मुखरता के कारण उन्हें 2020 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

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