फाइलेरिया मुक्त जिला बनाने के लिए जरूर खाएं एल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली: दुलारा देवी
बाराबंकी। विकास खण्ड क्षेत्र बंकी के शहाबपुर गांव की 65 साल की दुलारा देवी पिछले 40 सालों से फाइलेरिया की रोगी हैं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग साल में कम से कम एक बार जरूर फाइलेरिया की दवा के रूप में अल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर और डीईसी टैबलेट को …
बाराबंकी। विकास खण्ड क्षेत्र बंकी के शहाबपुर गांव की 65 साल की दुलारा देवी पिछले 40 सालों से फाइलेरिया की रोगी हैं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग साल में कम से कम एक बार जरूर फाइलेरिया की दवा के रूप में अल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर और डीईसी टैबलेट को पानी के साथ निगल कर अवश्य खाएं।
उनका कहना है कि जिले में चल रहे फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान चलाया जा रहा है जिसकी अनदेखी न करें, सभी आगे आकर स्वाथ्य टीम के सामने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना चाहिए तभी जिले से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव हो सकेगा।
फाइलेरिया से बचाव हेतु खाएं अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा
दुलारा ने बताया कि पिछले चालीस साल से मेरे दाहिने पैर में फाइलेरिया है। पता चलने के बाद जिला अस्पताल में आकर फाइलेरिया का इलाज करवा रही हूं। उन्होंने बताया कि मैं एक गरीब परिवार से हूं। मेरे पैर में सूजन थी, जिसके चलते कुछ लोग के कहने पर इधर-उधर नीम, हकीम व कुछ प्राइवेट हास्पिटल में दिखाकर दवा लिया। लेकिन फिर भी कोई आराम नहीं मिला। इधर-उधर के चक्कर में पैर में ज्यादा सूजन आ गई। तब जिला अस्पताल में जाकर उसका जांच कराया। तब जाकर फाइलेरिया की पहचान हुई। उसके बाद से निरंतर दवा खा रही हूं। इस दवा से दर्द एवं सूजन में काफी आराम मिला है। लेकिन यह पूरी तरह से खत्म होने वाला नहीं है। मैं लोगों से कहना चाहती हूं कि हाथी पांव यानि फाइलेरिया एक बार होने के बाद इसका इलाज संभव नहीं है। यह चलने फिरने से लेकर पूरे शरीर को कमजोर बना देता है, साथ ही वह बहुत ही दर्दनाक होता है। यह बीमारी न हो इसके लिए एक ही उपाय है कि जब भी सरकार की तरफ से फाइलेरिया रोधी अभियान चलाया जाए उस वक्त दवा का सेवन जरूर करें। इससे उनको कभी भी फाइलेरिया नहीं होगा। मैं यह कभी भी नहीं चाहती हूं कि हाथी पांव की वजह से जो परेशानी मुझे उठानी पर रही है वो परेशानी किसी और को न हो।
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आशा कार्यकर्ता पूनम देवी ने बताया कि स्थास्थ्य विभाग की ओर से हर साल फाइलेरिया उन्मूलन अंतर्गत एमडीए अभियान चलाया जाता है। लेकिन अभी भी बहुत लोग फाइलेरिया दवा खाने के नाम पीछे हो लेते है। उनको दवा खिलाने के लिए बहुत समझाना पड़ता है। कुछ लोग तो उत्तेजित हो जाते हैं। उनका फाइलेरिया रोग से पीड़ित लोगों का उदाहरण देना पड़ता है , तब जाकर वह कहीं दवा का सेवन करते है। जबकि गांव के ही जागरूक लोग खुद आगे आकर दवा का सेवन कर कार्यक्रम को सफल बनाने में भूमिका निभाते है। उनका कहना है कि फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचने के सभी लोगों को फाइलेरिया की दवा के रूप में एल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा खानी चाहिए।
सीएमओ डॉ राम जी वर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य टीम स्पष्ट निर्देशित किया गया है कि फाइलेरिया रोधी दवा खिलाते समय उम्र और तय खुराक का खास ख्याल रखें, इसके साथ ही कोविड गाइड लाइन का भी अवश्य पालन करें। फाइलेरिया की दवा 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलानी है। उन्होंने कहा कि जिल में चल रहे एमडीए अभियान को सफल बनाने के लिए 6 हजार 500 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर व 418 सुपरवाइजर लगाये गये है। एक टीम में दो कर्मचारी तैनात हैं। इसके तहत जिले की 37 लाख 65 हजार जनसंख्या को आच्छादित करने का लक्ष्य है।
फाइलेरिया रोधी दवा से किसी प्रकार को कोई साइड इफेक्ट नहीं
एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ डीके श्रीवास्तव के अनुसार दवा हमेशा भोजन के बाद और स्वास्थ्य टीमों के सामने ही खाना है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वैसे तो फाइलेरिया की दवा खाने के बाद किसी प्रकार को कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है फिर भी दवा खाने के बाद किसी को परेशानी हो तो वो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर डॉक्टर से सलाह लें।