मुरादाबाद : बिजली विभाग ने जिसे चोर ठहराया उसे कोर्ट ने दी राहत

मुरादाबाद : बिजली विभाग ने जिसे चोर ठहराया उसे कोर्ट ने दी राहत

मुरादाबाद,अमृत विचार। विद्युत विभाग के अधिकारी व संविदाकर्मियों की सांठगांठ से उपभोक्ताओं का शोषण हो रहा है। ऐसे ही आर्थिक व मानसिक दोहन के ताने-बाने का भंडाफोड़ हुआ है। विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल चुके व्यवसायी ने लंबी लड़ाई के बाद विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को बेनकाब कर दिया है। तीनस्तरीय जांच रिपोर्ट में …

मुरादाबाद,अमृत विचार। विद्युत विभाग के अधिकारी व संविदाकर्मियों की सांठगांठ से उपभोक्ताओं का शोषण हो रहा है। ऐसे ही आर्थिक व मानसिक दोहन के ताने-बाने का भंडाफोड़ हुआ है। विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल चुके व्यवसायी ने लंबी लड़ाई के बाद विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को बेनकाब कर दिया है। तीनस्तरीय जांच रिपोर्ट में दोषी सिद्ध होने के बाद विभाग बैकफुट पर है। कपड़े के जिस शोरूम का विद्युत कनेक्शन पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर एक वर्ष पहले काटा गया, उसे दोबारा बहाल करना पड़ा है।

जनपद संभल के चंदौसी निवासी नवनीत वार्ष्णेय कपड़ा कारोबारी हैं। उनका शोरूम शहर कोतवाली क्षेत्र स्थित बुद्ध बाजार में है। 30 दिसंबर 2020 को उन्होंने जिलाधिकारी व एसएसपी को शिकायती पत्र सौंपकर विभाग के तत्कालीन अवर अभियंता रवि रंजन, अवर अभियंता ओपी वर्मा व संविदाकर्मी संजीव रूहेला पर गंभीर आरोप लगाए। दावा किया कि तीनों आरोपी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उनसे धन उगाही की कोशिश कर रहे हैं। पूर्वाग्रह से ग्रस्त अधिकारी व कर्मचारियों ने विद्युत चोरी के आरोप में न सिर्फ उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, बल्कि जुर्माने के रूप में 10 लाख रुपये का अधिभार भी लगा दिया।

अधिकारियों का पूर्वाग्रह भांप पीड़ित ने डीएम व एसएसपी से न्याय की गुहार लगाई। डीएम ने जांच तत्कालीन अपर जिलाधिकारी वित्त व राजस्व को सौंपी। जांच में विद्युत विभाग के कर्मचारी दोषी मिले। जांच रिपोर्ट उजागर होते ही अवर अभियंता व उनकी टीम के होश उड़ गए। उच्च जांच रिपोर्ट को एकतरफा करार देते हुए विद्युत विभाग ने दोबारा जांच की मांग की। तब डीएम ने दो सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया। अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा व एसीएम प्रथम राजबहादुर सिंह ने नए सिरे से घटना की जांच की। दोनों पक्षों से पूछताछ व उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर दूसरी जांच रिपोर्ट तैयार हुई। 30 मार्च 2022 को जांच रिपोर्ट डीएम को भेजी गई।

जांच अधिकारी व एडीएम आलोक कुमार वर्मा ने बताया कि नवनीत वार्ष्णेय व उनकी पत्नी कल्पना रानी के विद्युत कनेक्शन की जांच दो बार करने का दावा विभाग ने किया। विद्युत विभाग की जांच व उसके द्वारा उपभोक्ता के खिलाफ दर्ज कराए गये मुकदमे में परस्पर विरोधाभास है। साक्ष्य के सापेक्ष दावों में विसंगतियां भी हैं। जांच में अवर अभियंता रविरंजन उपभोक्ता के खिलाफ विधिक कार्रवाई सही साबित करने में विफल रहे। पूरी कार्रवाई उपभोक्ता को सिर्फ मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान करने के लिए की गई। विद्युत कनेक्शन तत्काल जोड़ने की संस्तुति कर जांच अधिकारी ने घटना में लिप्त दो अवर अभियंता व संविदाकर्मी रहे संजीव रूहेला को दोषी माना। जांच अधिकारी ने तीनों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की।

मामले ने ऐसे लिया नया मोड़
दो जांच रिपोर्ट के बाद भी प्रशासनिक गलियारे में चुप्पी ने पीड़ित को बेचैन कर दिया। मार्च 2022 को पीड़ित हाईकोर्ट पहुंचा। वहां उसने विद्युत कनेक्शन बहाल करने, दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दाखिल की। 30 अप्रैल को याचिका की सुनवाई करते उच्च न्यायालय ने डीएम को तीन सदस्यीय जांच टीम के गठन व विद्युत कनेक्शन दोबारा बहाल करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय का आदेश मिलते ही डीएम ने तीन सदस्यीय टीम का गठन किया। जांच टीम में अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, एसपी ट्रैफिक व अपर जिलाधिकारी प्रशासन शामिल हैं।

10 मई को दोनों जांच समिति के समक्ष पेश हुए। दोनों ही पक्षों ने अपने दावों को बल देते हुए साक्ष्य पेश किया। तीन सदस्यीय टीम की जांच में बिजली विभाग की दलील मिली थी। हाईकोर्ट के आदेश व विद्युत विभाग के खेल का पता लगते ही तीन सदस्यीय जांच टीम ने पीड़ित का बिजली कनेक्शन तत्काल बहाल करने की संस्तुति की। जिलाधिकारी के आदेश पर 21 मई को उपभोक्ता का विद्युत कनेक्शन जोड़ दिया गया। हालांकि विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ता पर थोपा गया 10 लाख रुपये का अधिभार अभी भी सवाल बनकर खड़ा है। अधिभार खत्म करने अथवा चुकता करने को लेकर कोई आदेश पीड़ित को नहीं मिला है। ऐसे में पीड़ित एक बार फिर कोर्ट की शरण में है।

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