बरेली: परिवार का पेट पालते-पालते मिट गईं हाथ की लकीरें, सरकार नहीं देती ध्यान

बरेली: परिवार का पेट पालते-पालते मिट गईं हाथ की लकीरें, सरकार नहीं देती ध्यान

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बरेली, अमृत विचार: बरेली के मांझे की मजबूती की वजह से पूरे देश में पहचान है लेकिन मांझे को धार देने वाले कारीगर का जीवन तंगहाली में गुजर रहा है। परिवार का पेट पालते-पालते उनके हाथों की लकीरें भी मिट चुकी हैं। उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जब चुनाव आता तो नेता उनके दुख-दर्द बांटने का झूठा दिलासा देते हैं लेकिन चुनाव बाद कोई सुध नहीं लेता। पिछले लोकसभा चुनाव में बरेली में जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बरेली के मांझे की तारीफ की थी।

लोकसभा चुनाव में नेताओं का जनसंपर्क जारी है। पार्टियों के स्टार प्रचारक भी शहर में आ रहे हैं लेकिन मांझा कारीगरों की ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है। मांझा कारीगर सुबह पांच बजे उठकर काम में जुट जाते हैं। दिन भर की मजदूरी के बाद भी जो रकम मिलती है, वह परिवार का पेट पालने के लिए नाकाफी होती है। शहर के बाकरगंज, हुसैन बाग, लीची बाग, किला, स्वालेनगर, सीबीगंज और गोविंदापुर गांव में बड़ी संख्या में मांझे का काम होता है।

चाइनीज मांझा ने कर दिया बर्बाद
कारीगरों का दर्द है कि जब से चाईनीज मांझा बाजार में आया है तब से देसी मांझे के काम पर मंदी आ गई है। सरकार और प्रशासन की तरफ से चाईनीज मांझे पर कोई रोक नहीं लगने से लगातार हादसे भी हो रहे हैं। कारीगरों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को मांझा कारीगरों के लिए योजना लाकर उनके हित में भी काम करना चाहिए। जिससे वह भी ठीक तरीके से अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें।

मांझा कारीगरों की बात
सुबह पांच बजे से शाम तक लगातार काम करने के बाद 300 से 350 रुपये ही कमा पाते हैं। मांझा बनाते-बनाते हाथों की लकीरें भी मिट गई हैं। सरकार को मांझा कारीगरों की तरफ ध्यान देना चाहिए---वसीम मियां।

देसी मांझे के काम पर अब मंदी आ चुकी है। लोग चाईनीज मांझे को अधिक पसंद कर रहे हैं। सरकार को चाईनीज मांझे पर रोक लगाकर मांझा कारीगरों के लिए योजनाएं लानी चाहिए---साबिर मियां।

चाईनीज मांझे ने काम को बंदी कर कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। जिससे अधिकतर कारीगर काम छोड़कर मजदूरी और अन्य काम करने लगे हैं---हसीन लल्ला।

सिर्फ परिवार के गुजारे लायक ही कमा पाते हैं लेकिन ठेकेदार और मांझा बेचने वाले दुकानदार ही लाभ उठा रहे हैं। महंगाई के इस दौर में काम करना मुश्किल हो रहा है---मोहम्मद हसीन।

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