रूस के जनमत संग्रह पर बोले जयशंकर- संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात रखेगा भारत, अभी इंतजार करें

रूस के जनमत संग्रह पर बोले जयशंकर- संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात रखेगा भारत, अभी इंतजार करें

वाशिंगटन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि समरकंद में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर जो टिप्पणी की उसे इस मुद्दे पर भारत के रुख में परिवर्तन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि …

वाशिंगटन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि समरकंद में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर जो टिप्पणी की उसे इस मुद्दे पर भारत के रुख में परिवर्तन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि भारत लगातार यह कहता रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जल्द से जल्द युद्ध समाप्त होना चाहिए। यूक्रेन में रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों में जनमत संग्रह पर पूरे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने यहां बुधवार को भारतीय पत्रकारों के एक समूह से कहा कि भारत इस मुद्दे पर न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र में अपना विचार रखेगा।

उन्होंने कहा, “यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में विचार के लिए उठेगा। इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि आप इंतजार करें और देखिये कि वहां हमारे राजदूत क्या कहते हैं।” प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच समरकंद में 16 सितंबर को हुई बैठक के बारे में जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद दोनों नेताओं के बीच प्रत्यक्ष रूप से यह पहली बातचीत थी। उन्होंने कहा, “स्वाभाविक सी बात है कि आमने सामने की बैठक के बाद प्रेस को संबोधित किया गया था और हम उस मौके का वीडियो देख सकते हैं।”

‘यूक्रेन पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया’

उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि इसके बारे में हमने पहले कुछ नहीं कहा। हम इस युद्ध के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं। हम जल्द से जल्द इस लड़ाई को समाप्त करने और वार्ता तथा कूटनीतिक समाधान की जरूरत पर बल देते रहे हैं।” जयशंकर ने कहा, “यह बिलकुल स्वाभाविक था कि ऐसे मौके पर भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति की भेंट होगी तो इन विषयों पर चर्चा होनी थी और प्रधानमंत्री ने ऐसा किया।” जयशंकर ने कहा कि समरकंद में पुतिन से हुई बातचीत से यूक्रेन पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।

‘यूएनएससी में सुधार की जरूरत को हमेशा नकारा नहीं जा सकता’ 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की आवश्यकता को हमेशा नकारा नहीं जा सकता है। यूएनएससी में वर्तमान में पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। भारत विश्व संस्था के 10 अस्थायी सदस्यों में से एक है। केवल स्थायी सदस्यों के पास ही किसी भी मूल प्रस्ताव को ‘वीटो’ करने का अधिकार है। भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद में लंबित सुधारों पर कार्रवाई तेज करने को लेकर जोर देता रहा है। भारत का कहना है कि वह स्थायी सदस्य बनने का हकदार है।

‘भारत विश्व में स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभा सकता है’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसे समय में स्थिरता लाने व एक सेतु की भूमिका निभा सकता है जब दुनिया में आशा की कोई किरण नजर नहीं आ रही और अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिम को कम करने में और राजनीतिक दृष्टि से किसी तरह दुनिया का ध्रुवीकरण रोकने में मदद कर सकता है। जयशंकर ने कहा, ‘‘दुनिया में वास्तव में आशा की कोई किरण नहीं दिख रही। मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय बेहद चिंतित है।’’ मंत्री ने कहा कि भारत के लिए यह अवसरों से कहीं अधिक हैं, क्योंकि यह बहुत कठिन स्थिति है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस दिशा में भारत अपना योगदान दे सकता है। मुझे लगता है कि आज हम स्थिरता लाने में एक भूमिका निभा सकते हैं। हम एक पुल की तरह काम सकते हैं। हम कूटनीतिक रूप से एक भूमिका निभा सकते हैं। हमें वास्तव में आर्थिक दृष्टि से देखना होगा कि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिम को कम करने में कैसे योगदान दे सकते हैं? और राजनीतिक दृष्टि से हम किसी तरह से दुनिया का ध्रुवीकरण रोकने में कैसे मदद कर सकते हैं?’’

‘अमेरिकी व्यवसाय इस बात से प्रभावित हैं कि भारत…’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी व्यवसाय इस बात से प्रभावित हैं कि भारत कितना अधिक डिजिटल बन गया है। वहीं, भारत में कारोबार करने में सुगमता को लेकर सराहना का भाव भी है। अमेरिका भारत रणनीतिक भागीदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने बुधवार को आयोजित भोज के दौरान जयशंकर को फोरम की ‘कॉफी टेबल बुक’ भेंट की जिसका शीर्षक है ‘हम लोग’। इसमें भारत और अमेरिका का 75 वर्ष के दौरान रिश्तों की कहानी है। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘भारत में ऊर्जा, स्वास्थ्य, जलवायु, अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स और रक्षा क्षेत्रों में हो रहे बदलावों में गहरी दिलचस्पी देखने को मिली।’’

‘हम चीन के साथ लगातार रिश्तों में सुधार के लिए प्रयासरत हैं’

सामरिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के बीच भारत और अमेरिका के हिंद-प्रशांत की बेहतरी के लिए एक साझा दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत, चीन के साथ ऐसे संबंध बनाने का प्रयास करता है जो आपसी संवेदनशीलता, सम्मान व परस्पर हित पर आधारित हों। चीन का सामरिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है और वह विशेष रूप से विवादित दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की सक्रिय नीति का विरोध करता रहा है। जयशंकर ने बुधवार को यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह से कहा, ‘‘हम चीन के साथ लगातार रिश्तों में सुधार के लिए प्रयासरत हैं। ऐसा रिश्ता जो आपसी संवेदनशीलता, सम्मान और आपसी हित पर बना हो।’’

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