गोंडा: डीएम साहब…मैं राम अभिलाख पांडेय, अभी जिंदा हूं! बुजुर्ग की राजस्व अभिलेखों में हो चुकी है मौत

गोंडा: डीएम साहब…मैं राम अभिलाख पांडेय, अभी जिंदा हूं! बुजुर्ग की राजस्व अभिलेखों में हो चुकी है मौत

गोंडा। जिंदा इंसान को मुर्दा घोषित कर उसकी जमीन हड़पने की कहानियां आपने फिल्मों में देखी-सुनी होंगी लेकिन असल जिंदगी में भी ऐसा होता है। इसका इसका उदाहरण जिले की सदर तहसील में सामने आया है। यहां 82 साल के एक बुजुर्ग को ना सिर्फ कागजों में मृत घोषित कर गया है बल्कि उसकी सारी …

गोंडा। जिंदा इंसान को मुर्दा घोषित कर उसकी जमीन हड़पने की कहानियां आपने फिल्मों में देखी-सुनी होंगी लेकिन असल जिंदगी में भी ऐसा होता है। इसका इसका उदाहरण जिले की सदर तहसील में सामने आया है। यहां 82 साल के एक बुजुर्ग को ना सिर्फ कागजों में मृत घोषित कर गया है बल्कि उसकी सारी संपत्ति भी हड़प ली गई। अब 82 साल के राम अभिलाष पांडेय नाम के बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए पिछले छह महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

82 साल के बुजुर्ग राम अभिलाख पांडेय तहसील सदर के दासियापुर गांव के रहने वाले हैं और अभी जीवित हैं। लेकिन राजस्व विभाग की लापरवाही से खतौनी में राम अभिलाख पांडेय मौत हो चुकी है। हैरानी की बात यह है कि इन्हें मृतक बताकर इनकी लगभग 12 बीघे की जमीन किसी दूसरे के नाम कर दी गई है। राम अभिलाख जब खतौनी निकालने तहसील गए तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। अब वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए तहसील के चक्कर लगा रहे हैं।

राम अभिलाख का कहना है कि वह अपनी शिकायत डीएम व एसडीएम से कर चुके हैं लेकिन अभी कार्रवाई नहीं हो सकी है। बुजुर्ग राम अभिलाख पांडेय व उनका परिवार न तो सुख से एक वक्त का निवाला खा पा रहा है और न ही चैन से सो पा रहा है। तमाम कोशिशें करने के बाद भी सभी अधिकारियों के पटल से राम अभिलाख को निराशा ही हाथ लगी है। अधिकारियों को इस मामले की सारी जानकारी है लेकिन वह इसकी गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं।

उधर, राम अभिलाख को यह भी डर सता रहा है कि उम्र के इस पड़ाव पर अगर कोई अनहोनी होती है तो उनका परिवार सड़क पर आ जाएगा। हैरानी की बात यह है कि राम अभिलाख जिस जगह पर रह रहे हैं वह जमीन भी किसी दूसरे के नाम पर है। राम अभिलाख की मांग है कि कागजों में इस गलती को सुधारा जाए और उन्हें उनका हक वापस दिलाया जाए। एसडीएम विनोद सिंह का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है। अगर कही- गलती हुई है तो उसे सुधारकर पीड़ित को न्याय दिलाया जायेगा।

तहसीलदार और लेखपाल को भूमिका पर सवाल

82 वर्षीय रामअभिलाख के जीवित रहते उन्हे मृत दिखा देना पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है। किसी की मृत्यु के बाद लेखपाल मौके पर जाकर जांच करता है और फिर खतौनी में उसके परिजनों की वरासत के लिए तहसील प्रशासन को रिपोर्ट देता है। तहसीलदार भी पूरे मामले की पड़ताल करने के बात है वरासत के लिए आदेश करते है लेकिन रामअभिलाख के मामले में ऐसा नहीं किया गया। जिससे तहसीलदार व लेखपाल की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

यह भी पढ़ें:-गोरखपुर : सीएम योगी की पहल पर हुआ आस्था और परंपरा का श्रृंगार, 14 जुलाई को होगा लोकार्पण