वित्त मंत्री 23 अप्रैल को सार्वजनिक बैंकों के प्रमुखों के साथ करेंगी बैठक
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऋतदाता संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए चलाई गई सरकारी योजनाओं की प्रगति के आकलन के लिए 23 अप्रैल को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगी। वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करने के बाद पीएसबी प्रमुखों के साथ …
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऋतदाता संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए चलाई गई सरकारी योजनाओं की प्रगति के आकलन के लिए 23 अप्रैल को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगी। वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करने के बाद पीएसबी प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री की यह पहली बैठक होगी।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सरकार बैंकों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने के लिए उत्पादक क्षेत्रों को ऋण आवंटन बढ़ाने के लिए कह सकती है। सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में विभिन्न सरकारी योजनाओं की प्रगति और विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के प्रदर्शन की गहन समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के दायरे में आपात ऋण-सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) भी होगी। इस साल के बजट में ईसीएलजीएस को मार्च, 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
इसके साथ ही सरकार ने योजना के तहत दी जाने वाली गारंटी कवर को भी 50,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये कर दिया है। आतिथ्य, ट्रैवल, पर्यटन और नागरिक उड्डयन क्षेत्रों को भी इस योजना के दायरे में लाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, वित्त वर्ष की शुरुआत में ही नयी दिल्ली में होने वाली इस बैठक से पूरे साल के लिए बैंकिंग क्षेत्र का एजेंडा तय हो सकता है।
पिछले वित्त वर्ष में किसी भी सार्वजनिक बैंक को अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान घाटा नहीं हुआ था और इन नौ महीनों में पीएसबी ने 48,874 करोड़ रुपये का सम्मिलत शुद्ध लाभ अर्जित किया। सार्वजनिक बैंकों ने वित्त वर्ष 2020-21 में 31,820 करोड़ रुपये का सम्मिलित शुद्ध लाभ कमाया था। लेकिन उससे पहले के लगातार पांच साल में इन बैंकों को सामूहिक तौर पर घाटा उठाना पड़ा था। सबसे ज्यादा 85,370 करोड़ रुपये का घाटा वर्ष 2017-18 में हुआ था।
सरकार ने इन बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए एक समग्र रणनीति बनाई थी जिसमें एनपीए पर पारदर्शिता दिखाने, दबाव वाले खातों से मूल्य की वसूली, पीएसबी में नई पूंजी डालने और पीएसबी में सुधार करने पर जोर था। पीएसबी में सरकार ने 2016-21 के दौरान कुल 3.10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी अपनी तरफ से डाली है।
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