उर्जा संकट

उर्जा संकट

कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली संकट की आशंका बनी हुई है। सरकार का दावा है कि ऐसी स्थिति नहीं आने दी जाएगी। देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है। बेशक सरकार बिजली संकट को लेकर चिंतित न होने का भरोसा दे रही हो, पर इस बात से इनकार नहीं किया …

कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली संकट की आशंका बनी हुई है। सरकार का दावा है कि ऐसी स्थिति नहीं आने दी जाएगी। देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है। बेशक सरकार बिजली संकट को लेकर चिंतित न होने का भरोसा दे रही हो, पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि देश में कोयले का उत्पादन काफी तेजी से घटा है।

कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की शुरुआत से बिजली की मांग भी अचानक बढ़ी है। भारत में 135 कोयले पर आधारित बिजली संयंत्र हैं। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की कोयले के भंडार की स्थिति पर रिपोर्ट से पता चलता है कि खानों से दूर स्थित ऐसे संयंत्र जिनके पास चार दिन से कम का कोयला स्टॉक था, उनकी संख्या घटकर 64 रह गई है। 8 अक्टूबर को यह संख्या 69 थी। देश के कोयला उद्योग से 40 लाख लोगों रोज़गार मिलता है।

जानकारों के अनुसार कहा नहीं जा सकता कि मौजूदा परिस्थिति कब तक रहेगी लेकिन उम्मीद है कि स्थितियां बेहतर होंगी। पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि मौजूदा हालात मुश्किल भरे हैं और भारत को अगले पांच छह महीनों के लिए तैयार रहना चाहिए। सरकार ने कहा है कि वह कोल इंडिया के साथ मिलकर उत्पादन बढ़ाने और अधिक खनन करने पर काम कर रही है ताकि आपूर्ति और ख़पत के बीच अंतर को कम किया जा सके।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के कोयला आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों से बिजली की मांग और खपत में उल्लेखनीय सुधार होगा। कोल इंडिया लिमिटेड ने हाल ही में केवल ताप बिजली संयंत्रों को कोयला देने की घोषणा की है और बाकी उद्योगों को आपूर्ति रोकी जा रही है। लेकिन इससे अन्य क्षेत्रों में उत्पादन प्रभावित होगा। बिजली क्षेत्र के बाद स्पॉन्ज आयरन और सीमेंट उद्योग कोयले के दो बड़े उपभोक्ता हैं।

अल्पकालिक उपायों से देश मौजूदा संकट से तो उबर जाएगा, लेकिन देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दीर्घकालिक विकल्पों में निवेश करने की दिशा में काम करना होगा। हमें कोयले पर अपनी निर्भरता को कम करना होगा और अक्षय ऊर्जा रणनीति पर तेजी से आगे बढ़ना होगा। देश के सबसे बड़े कोयला आपूर्तिकर्ता कोल इंडिया और दूसरे हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय बनाए जाने की जरूरत है। साथ ही विद्युत क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र व राज्य सरकारों तथा सभी राजनीतिक दलों एवं अन्य हितधारकों के बीच एक सकारात्मक राजनीतिक संवाद का होना आवश्यक है।

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