बाहर पीते हैं जूस व शेक तो हो जाएं सावधान! क्योंकि इसमें पड़ने वाली दूषित बर्फ बना रहीं डायरिया-टाइफाइड का शिकार

बाहर पीते हैं जूस व शेक तो हो जाएं सावधान! क्योंकि इसमें पड़ने वाली दूषित बर्फ बना रहीं डायरिया-टाइफाइड का शिकार

लखनऊ। बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्लियां हुक से उतारते हुए तो खूब देखी होंगी। लेकिन यह बर्फ कहां से आती है कैसे बनती है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। रेस्टोरेंट और पार्टियों में जूस, शेक और कोल्डड्रिंग्स में धड़ल्ले से दूषित बर्फ का इस्तेमाल होता है। यह बर्फ लोगों को कई गंभीर बीमारियां जैसे- डायरिया, …

लखनऊ। बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्लियां हुक से उतारते हुए तो खूब देखी होंगी। लेकिन यह बर्फ कहां से आती है कैसे बनती है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। रेस्टोरेंट और पार्टियों में जूस, शेक और कोल्डड्रिंग्स में धड़ल्ले से दूषित बर्फ का इस्तेमाल होता है। यह बर्फ लोगों को कई गंभीर बीमारियां जैसे- डायरिया, गले में इंफेक्शन, टाइफाइड आदि का शिकार बना रही है।

इस मामले पर सिविल अस्पताल के के एमडी फिजिशियन डॉ. कुलदीप वर्मा बताते हैं कि इस तरह की फैक्ट्ररियों में बनने वाली बर्फ स्वच्छ पानी से नहीं बनती या नियमित उनके सांचों की सफाई नहीं की जाती है। कई बार इसमें ऑक्सीजन या कार्बनडाई ऑक्साइड भी आ जाती है। जो लिवर को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है।

उन्होंने बताया कि कई बार ओपीडी में आने वाले मरीज बताते हैं कि वह गन्ने का जूस पीकर बीमार हो गये। या कहीं पार्टी में गये थे कोल्डड्रिंक पीकर टाइफाइड हो गया। क्योंकि इन सब चीजों में इसी बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है। डॉ. वर्मा बताते है कि मेडिसिन विभाग की ओपीडी में रोजाना 400-500 मरीज आते हैं जिसमें से 15 फीसदी मरीज इस तरह के होते हैं जो बाहर के पेय पदार्थों के सेवन से बीमार पड़ गये।

दूषित बर्फ से गैस्ट्रोएन्टराइटिस का भी खतरा- प्रो. सुमित रूंगटा

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय (केजीएमयू) के गैस्ट्रो विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुमित रूंगटा ने बताया कि दूषित बर्फ का इस्तेमाल आजकल अधिक हो रहा है। बच्चे अक्सर बाहर ठेले पर मिलने वाले बर्फ का गोला या दूषित बर्फ से बने शेक पीना अधिक पसंद कर रहे हैं जिससे वह लिवर इंफेक्शन और कई बार गैस्ट्रोएन्टाराटिस का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया वैसे तो केजीएमयू की ओपीडी में अक्सर रेफर किये हुए गैस्ट्रो के मरीज आते हैं लेकिन इस तरह के मामले भी अक्सर आते रहते हैं।

कैंसर बनने का भी होता है खतरा- डॉ.सुधीर सिंह

केजीएमयू के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीर सिंह बताते हैं कि फैक्ट्रियों में बनने वाली बर्फ कई तरह से इस्तेमाल की जाती है। दूसरे प्रदेशों से लाई जाने वाली मछलियों को बर्फ के बॉक्स में रखकर लाया जाता है जिसमें फॉरमेलिन नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। जो एक प्रकार का जहरीला पदार्थ होता है। इन मछलियों को खाने वालों के शरीर में कई बार केमिकल भी चला जाता है। जो लोगों को तेजी से लिवर कैंसर का शिकार बना रहा है। उन्होंने बताया कि फॉरमेलिन इतना घातक होता है यदि कोई सीधे इसके संपर्क में आता है तो उसकी आंखों को नुकसान हो सकता है। गले और नाक में फौरन इंफेक्शन हो जाता है।

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