पीलीभीत: सेहत की चिंता...जो समझ रहा सेहत राज का राज, वो खा रहा मोटा अनाज

पीलीभीत: सेहत की चिंता...जो समझ रहा सेहत राज का राज, वो खा रहा मोटा अनाज

पीलीभीत, अमृत विचार: एक तरफ जहां अधिक सफेद आटे के चक्कर में लोग पैकेट में बंद मैदा खा रहे हैं, तो वहीं कुछ ऐसे भी जागरूक लोग हैं, जो आटा चक्की तक गेहूं ले जाकर उसके पौष्टिक बनाने को उसमें श्री अन्न (जौ, महुआ, बाजरा, मक्का आदि) मिलवा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉक्टर भी फाइबर वाले आटे के लिए मोटे अनाजों को गेहूं के साथ पिसवाकर खाने की सलाह दे रहे हैं। बाजार में मल्टीग्रेन आटे की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कुछ व्यापारियों ने स्वयं ही गुणवत्तापरक मल्टीग्रेन आटा बनवाकर उसकी बिक्री शुरू कर दी है।

बाजार में बिक रहे ब्रांडेड आटा स्वाद और देखने में भले ठीक हो, लेकिन हकीकत यही है कि उसमें गुणवत्ता की अनदेखी ही होती है। शहर में आटा चक्कियों की संख्या बहुत कम है, लेकिन वहां लगने वाली भीड़ इस बात की गवाही दे रही है कि लोग सेहत के प्रति धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं। इस भीड़ में आम और खास सभी शामिल हैं। 

आलम यह है कि आजकल आटा चक्की के पास लग्जरी गाड़ियां भी रूक रही हैं तो साइकिल और बाइक वाले भी पहुंच रहे हैं। इन गाड़ियों से उतरने वाले हाथों में अलग-अलग तरह के मोटे अनाज के पैकेट होते हैं। शहर में कुछ आटा चक्कियां ऐसी भी है, जो अपनी गुणवत्ता और विश्वास के लिए जानी जाती है। इन दिनों शहर के लेखराज चौराहा के समीप गेहूं के साथ मोटे अनाज का आटा बनाने वाले मुकेश कुमार की चक्की खास हो गई है। 

चक्की संचालक मुकेश कुमार बताते हैं कि चक्की पर रोजाना करीब 25 फीसदी ग्राहक सिर्फ गेहूं के साथ मोटा अनाज पिसवाने वाले होते हैं। धीरे-धीरे प्रचार हुआ तो चक्की पर मल्टीग्रेन आटा पिसवाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। इसमें कुछ लोग तो स्वयं जागरूकता वश गेहूं के साथ मोटे अनाज जैसे जौ, बाजरा, मक्का, चना, रागी, सोयाबीन आदि पिसवाने आते हैं, वहीं डॉक्टरों की सलाह पर मोटे अनाज का आटा पिसवाने वालों की संख्या अधिक रहती है।

मार्केट में भी तेजी से बढ़ने लगी मोटे अनाज व मल्टीग्रेन आटे की डिमांड
पुराने समय की बात करें तो लोग पहले जौ एवं बाजरा, कोदो से बनी रोटियां की खाते हैं। वक्त बीता तो भागदौड़ भरी जिंदगी में जौ-बाजरे की जगह पैकेट वाले सफेद आटे ले ली। लोग बीमारियों की गिरफ्त में आने लगे तो डॉक्टरों ने उच्च फाइबर वाले मल्टीग्रेन आटे की सलाह देनी शुरू कर दी। बाजार में मल्टीग्रेन आटे की बढ़ती डिमांड को देख विभिन्न कंपनियों ने मल्टीग्रेन आटे के तमाम ब्रांड बाजार में उतार दिए। 

मगर, बाजार में सेहत से भरपूर का दावा करने वाले अधिकांश मल्टीग्रेन आटे में मोटे अनाज की मात्रा महज 10 फीसदी ही होती है। बाजार में दुकानदार खुद इस बात को स्वीकारते हुए कहते हैं कि इन मल्टीग्रेन आटा बनाने वाली कंपनियां खुद ही अपने उत्पाद पर इसका जिक्र करती है।

ऐसे में अब कुछ दुकानदारों एवं जागरुक लोगों ने स्वयं ही आटा चक्की पर जाकर गेहूं के साथ मोटे अनाज पिसवाकर उसका आटा बनवाना शुरू कर दिया है। वहीं मोटा अनाज बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि मोटा अनाज मिश्रित आटा गेहूं के आटे से महंगा होता है, इसकी वजह यह है कि मोटा अनाज बाहर से आता है, इस वजह से इन अनाजों की कीमत अधिक है।  

मल्टीग्रेन आटा कई मायनों में बेहतर
किराना स्टोर संचालक अंकित अग्रवाल कहते हैं कि मल्टीग्रेन आटा स्वास्थ्य के लिए कई मायनों में बेहतर होता है। इस आटे का सेवन लोग पौष्टिक आहार के रूप में तो करते ही है, साथ ही यह मल्टीग्रेन आटा डायबिटिक एवं यूरिक एसिड से ग्रस्त मरीजों के लिए अधिक फायदेमंद होता है।

बाजार में मल्टीग्रेन आटे की बढ़ती डिमांड और ग्राहकों तक गुणवत्तापरक मल्टीग्रेन आटा पहुंचे, इसके लिए उन्होंने स्वयं ही अपनी देखरेख में मल्टीग्रेन आटा तैयार करवाकर बिक्री करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि बेहतर होगा कि लोग स्वयं ही आटा चक्की पर गेहूं के साथ मोटे अनाज ले जाकर पिसवाएं। मोटा अनाज भी एक निश्चित मात्रा में ही गेहूं के साथ पिसवाना चाहिए।

क्या कहते हैं डॉक्टर
मोटे अनाज में पौष्टिक तत्व अधिक होते हैं। फाइबर के कारण पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है। मोटे अनाज धीरे-धीरे पचते हैं, इस कारण शुगर लेवल भी अचानक नहीं बढ़ता। शुगर, ब्लडप्रेशर समेत अन्य बीमारियों में मोटे अनाज फायदेमंद है--- डॉ. रमाकांत सागर, वरिष्ठ फिजिशियन, मेडिकल कॉलेज।

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