दिल्ली हाई कोर्ट का केंद्र को निर्देश, खेल संहिता के पालन में विफल एनएसएफ को नहीं दिया जाए कोष

दिल्ली हाई कोर्ट का केंद्र को निर्देश, खेल संहिता के पालन में विफल एनएसएफ को नहीं दिया जाए कोष

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि देश में खेलों के प्रशासन से संबंधित कानून के अनुपालन नहीं करने वाले राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को कोई कोष या सहायता प्रदान नहीं की जाये। न्यायाधीश नजमी वजीरी और विकास महाजन की पीठ ने कहा, ‘‘ खेल संहिता का पालन नहीं …

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि देश में खेलों के प्रशासन से संबंधित कानून के अनुपालन नहीं करने वाले राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को कोई कोष या सहायता प्रदान नहीं की जाये। न्यायाधीश नजमी वजीरी और विकास महाजन की पीठ ने कहा, ‘‘ खेल संहिता का पालन नहीं करने वाली किसी भी संस्था को कोई कोष नहीं मिलेगा। हमारे फैसले की मुख्य बात यही है। कानून की अनदेखी हो रही है।’’

एनएसएफ द्वारा खेल संहिता का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘ यह खेल भावना की तरह नहीं हो रहा है। नियमों का पालन नहीं करना खेल भावना के विपरीत है। इसके अनुपालन में कई जगह खामियां दिख रही है।’’ अदालत ने कहा कि अनुपालन को एक माह के अंदर पूरा किया जाये और इस दौरान भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से खिलाड़ियों को सहायता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो एनएसएफ इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं उन्हें निलंबित कर दिया जाये।

खेल मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि महीने के अंत तक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 15 एनएसएफ खेल संहिता का पालन कर रहे हैं जबकि छह को छूट दी गई थी। उन्होंने बताया, ‘‘ पांच एनएसएफ को अपने संविधान में संशोधन करने की जरूरत है तो वहीं 17 एनएसएफ को बड़े बदलाव करने की आवश्यकता है। केंद्र की ओर से वकील अनिल सोनी पेश हुए।

याचिकाकर्ता ने केंद्र के जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा कि कम से कम 24 एनएसएफ के प्रबंधन में ‘सुपर ल्यूमिनरी पर्सन (अत्यंत प्रभावशाली)’ हैं, जो संहिता के विपरीत है। इसके अलावा अधिकतर एनएसएफ प्रबंध समिति में खिलाड़ियों के अनिवार्य 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व की शर्त को पूरा नहीं करते। अदालत ने कहा कि उनका प्रयास यह है कि एनएसएफ कानूनी ढांचे का पालन करें और ‘उन्हें यह यह कहने का मौका नहीं मिले कि खिलाड़ियों को नुकसान होगा’।

अदालत के आदेश के मुताबिक, ‘‘जब तक यह स्पष्ट नहीं है कि एनएसएफ में से कौन पूरी तरह से अनुपालन कर रहा है, तब तक यह विवेकपूर्ण है कि किसी भी एनएसएफ को अगली तारीख तक कोई और पैसा या सहायता नहीं दी जाये। प्रतिवादी (केन्द्र सरकार) यह सुनिश्चित करेगा कि एनएसएफ को पैसा, सुविधाएं और संरक्षण तभी दिया जाए जब वे (खेल संहिता के साथ) सभी आदेशों (उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित) का पालन करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि अनुपालन सुनिश्चित करने की पूरी कवायद एक महीने के अंदर पूरी हो जाएगी। हालांकि, भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से खिलाड़ियों को दी जाने वाली सहायता को सुनिश्चित किया जाएगा और संभवतः उसे बढ़ाया जाएगा। जो एनएसएफ अनुपालन नहीं कर रहे हैं उन्हें निलंबन के नोटिस पर रखा जाएगा।’’ मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

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