China-Taiwan Tension : तनाव के बीच ताइवान पहुंचा अमेरिका का एक और प्रतिनिधिमंडल, राष्ट्रपति Tsai Ing-wen से की मुलाकात

ताइपे। अमेरिकी कांग्रेस का एक और प्रतिधिनिमंडल ताइवान पहुंचा है और उसने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन (Tsai Ing-wen) से गुरुवार सुबह मुलाकात की। अमेरिका और ताइवान के नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है जब चीन के साथ दोनों देशों के संबंध बेहद तनाव पूर्ण हैं। चीन पूरे ताइवान …

ताइपे। अमेरिकी कांग्रेस का एक और प्रतिधिनिमंडल ताइवान पहुंचा है और उसने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन (Tsai Ing-wen) से गुरुवार सुबह मुलाकात की। अमेरिका और ताइवान के नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है जब चीन के साथ दोनों देशों के संबंध बेहद तनाव पूर्ण हैं। चीन पूरे ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। इससे पहले अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी अगस्त में ताइवान की यात्रा पर आई थीं, हालांकि चीन ने इस यात्रा का काफी विरोध किया था और उसने अपने सैन्य अभ्यास को तेज करते हुए लगभग रोज ही ताइवान की ओर लड़ाकू विमान, ड्रोन आदि भेजे थे।

फ्लोरिडा से डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य स्टेफनी मर्फी की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने ताइवान की राष्ट्रपति से मुलाकात की। चीन के सैन्य खतरों का जिक्र करते हुए साई ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ‘‘ ताइवान के प्रति अमेरिकी कांग्रेस के अडिग समर्थन को दर्शाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ताइवान दबाव में नहीं आएगा। हम हमारे लोकतांत्रित प्रतिष्ठानों तथा जीवन जीने के तरीकों की रक्षा करेंगे। ताइवान पीछे नहीं हटेगा।’’ इस पर मर्फी ने कहा कि संसद को ‘‘अंतराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की वृहद भागीदारी की वकालत करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ताइवान ने दिखाया है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार सदस्य है खासतौर पर जन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर। वह अंतरराष्ट्रीयों मंचों पर भागादारी का हकदार है।’’ गौरतलब है कि मर्फी उन सांसदों में शामिल हैं जिन्होंने वह विधेयक पेश किया है जिसके तहत अमेरिका ताइवान की मदद करने के लिए उसे हथियार दे सकता है, ठीक उसी प्रकार से जैसे उसने यूक्रेन को हथियार दिए हैं। पिछले सप्ताह राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने ताइवान को एक अरब डॉलर की हथियार ब्रिकी की मंजूरी दी थी। इस पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बुधवार को कहा कि वाशिंगटन और ताइपे के बीच रक्षा सहयोग को लेकर चीन की आपत्ति ‘‘स्पष्ट’’है।

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