पीलीभीत: लाइलाज होते जा रहे मेडिकल कॉलेज में बंद रहता अल्ट्रासाउंड कक्ष, डिजिटल एक्स-रे मशीन भी खराब...मरीज हो रहे परेशान
पीलीभीत, अमृत विचार। मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सुविधा सुधरने का नाम नहीं ले रही है। कभी गर्भवती को रेफर करने का मामला, कहीं ओपीडी में डॉक्टर गायब रहने की शिकायत पहले ही शासन स्तर तक खलबली मचा चुकी हैं। इसके अलावा लंबे समय से डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब पड़ी हुई है। जिस वजह से मैन्युअल तरीके से मरीजों के एक्स-रे किए जा रहे हैं।
वहीं दो डॉक्टर कार्यरत होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में मरीजों का अल्ट्रासाउंड समय से नहीं हो पा रहा है। दूर दराज से आने वाले मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। आखिर में उन्हें मजबूरीवश निजी सेंटरों पर रुपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड कराने पड़ रहे हैं। मगर सिस्टम के जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
शासन की सख्ती के बाद मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। बुधवार सुबह कुछ डॉक्टर अभी भी ओपीडी से नदारद रहे। सुबह से ही मरीजों की कतार लगी रही। पर्चा बनवाने के बाद डॉक्टरों के चैंबर के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते हुए मरीज परेशान हो रहे थे। मरीजों की सुविधा के लिए स्थापित कराई गई डिजिटल एक्सरे मशीन करीब एक सप्ताह से खराब है। अभी तक उसे ठीक नहीं कराया गया। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा।
घंटों लाइन में लगने के बाद पर्चा बना और फिर डॉक्टर से एक्सरे करवाने की अनुमति मिलने के बाद मरीज कक्ष में पहुंचे तो पता चला कि एक एक्सरे मशीन खराब है। सिर्फ मैन्युअल मशीन से ही काम चलाया जा रहा है। वहां भी बेशुमार भीड़ देखने को मिली।
कतार में खड़े मरीजों ने बताया कि दो घंटे से अधिक समय हो गया। अभी पता नहीं कितना समय और लगेगा। ज्यादा देर और लगी तो ओपीडी का समय भी निकल जाएगा, चिकित्सक को दिखाने के लिए फिर दौड़ लगानी पड़ेगी। एक्सरे करने वाले स्टाफ की मानें तो मशीन खराब होने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। फिलहाल अभी मशीन सही नहीं हुई है। जिस वजह से एक ही मशीन से काम चलाना पड़ रहा है।
व्हीलचेयर तो कोई स्ट्रेचर पर करता रहा इंतजार
डिजिटल एक्सरे मशीन खराब होने के कारण अधिकतर लोड मैन्युअल मशीन पर आ गया है। जिस कारण सुबह आठ बजे से भीड़ उमड़ने लगती है। टेक्नीशियन न होने के कारण न्यूरिया सीएचसी से बुलाया गया। सामान्य एक्सरे के अलावा मेडिको लीगल के एक्सरे के लिए भी दिन भर भीड़ लगी रहती है।
एक मशीन होने के कारण दोपहर 12 बजे भी मरीज और एक्सीडेंट में घायल मरीज भी एक्सरा करने के लिए व्हीलचेयर, स्ट्रेचर और जमीन में बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। रामबाबू ने बताया कि सुबह आठ बजे से लाइन में लगे हैं। एक्सीडेंट में पैर में दर्द होने पर डॉक्टर ने एक्सरे की सलाह दी थी। मगर 12 बजे तक भी नंबर नहीं आ सका है।
ताला खुलने का करते रहे इंतजार
मेडिकल कॉलेज में मरीजों को सुविधा देने के लिए डिजिटल अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित की गई थी। साथ ही उसके संचालन के लिए दो डॉक्टर भी कार्यरत हैं। लेकिन फिर भी अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लटका रहता है। बुधवार को ओपीडी में चिकित्सक को दिखाने के बाद कई मरीज अल्ट्रासाउंड कराने के लिए पहुंचे थे, लेकिन डिजिटल एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताले लटके मिले।
मरीजों ने बताया कि अल्ट्रासाउंड कराकर फिर से डॉक्टर को दिखाना है, अब ताला खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मरीजों ने बताया कि वह एक नोटिस चस्पा था, जिस पर नौ मई को अल्ट्रासाउंड होने की बात लिखी हुई है। कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं।
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