आपके अतृप्त पूर्वज ही हैं आपके कष्टों का मूल कारण

अमावस्या पर करौली धाम में पितृ मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन, 20 हज़ार से ज्यादा भक्तों का लगा तांता

आपके अतृप्त पूर्वज ही हैं आपके कष्टों का मूल कारण

अमृत विचार, लखनऊ। श्री करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम (कानपुर) में अमावस्या पर हज़ारों भक्तों की भीड़ उमड़ी. बता दें की धाम में अमावस्या का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता रहा है. पर्व में भारत के ही नहीं बल्कि विदेशी मूल के लोग भी आकर अपने पूर्वजों की मुक्ति कराने के लिए प्रतिभाग करते हैं. इसे पितृ मुक्ति कार्यक्रम के नाम से भी जाना जाता है। 

भारत में अक्सर लोग अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए पिण्डदान, श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि आदि कर्म-कांड किया करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों की मुक्ति हो सके. गुरु श्री करौली शंकर महादेव ने बताया की आमतौर पर पुराने ज़माने में सभी लोग तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, जादू-टोना आदि जैसे कार्यों में संलग्न रहा करते थे, जिसके कारण वह ग़लत पूजा पाठ करने लगे, शास्त्रोक्त देवी-देवताओं को छोड़ कर, नक़ली ग्राम देवी-देवता बना कर उनकी पूजा करने लगे जिनका शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं. जिसके कारण वह लोग ईश्वर से दूर हो गये और नकारात्मक शक्तिओं से जुड़ गये।

गुरूजी ने बताया- क्या है पितृ दोष

गुरुजी ने बताया की भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है की देवताओं की पूजा करने वाला देवताओं को, पितरों की पूजा करने वाला पितरों को और भूत प्रेत की पूजा करने वाला प्रेत योनि को प्राप्त होता है. इसी कारण से हमारे पूर्वज मरने के बाद प्रेत योनि को प्राप्त हुए और आगे जन्म ना ले पाने के कारण आगे की पीढ़िया पितृ दोष की शिकार होने लगी, जिसके कारण वह नाना प्रकार के दु:ख और कष्ट उठाने लगी. जब तक यह पितृ मुक्त नहीं होंगे तब तक मनुष्य सुखी नहीं हो सकता, और जब तक पूर्ण गुरु की कृपा ना हो तब तक इनकी मुक्ति असंभव है।

20 हज़ार से ज्यादा भक्तों का लगा तांता 

गुरूजी ने बताया की पितरों की बदला लेने की स्मृतियों से तो स्वयं भगवान परशुराम जी भी नहीं बच पाये तो हम और आप जैसे आम मनुष्य कैसे ही बच सकते हैं. श्री करौली शंकर महादेव धाम का उदय ही इसलिए हुआ ताकि संसार के दुखी लोगों के पितृ मुक्त हो सकें. उन्होंने बताया की यदि आपको एक भी पितृ आँख बंद कर के दिखाइ दे रहा है तो इसका अर्थ है की उसकी मुक्ति नहीं हुई और यदि आप देख नहीं सकते इसका अर्थ है की आपके पितृ अब सदा सदा के लिए मुक्त हैं. बता दें की इस अमावस्या लगभग 20 हजार से ज्यादा भक्तों ने अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ मुक्ति कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।