बिग बी जन्मदिन विशेष: मुझे कब तक रोकोगे
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर भर कर जेबों में आशाएँ दिल में है अरमान यहीं कुछ कर जाएँ कुछ कर जाएँ।। सूरज सा तेज नहीं मुझमें दीपक सा जलता देखोगे आपनी हद रौशन करने से तुम मुझको कब तक रोकोगे।। मैं उस उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सीचा है, बंजर माटी में …
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर
भर कर जेबों में आशाएँ
दिल में है अरमान यहीं
कुछ कर जाएँ कुछ कर जाएँ।।
सूरज सा तेज नहीं मुझमें
दीपक सा जलता देखोगे
आपनी हद रौशन करने से
तुम मुझको कब तक रोकोगे।।
मैं उस उस माटी का वृक्ष नहीं
जिसको नदियों ने सीचा है,
बंजर माटी में पलकर मैंने
मृत्यु से जीवन खीचा है।।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ
शीशे से कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला मैं नाम नहीं
तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे।।
इस जग में जितने जुल्म नहीं
उतने सहने की ताकत है
तानों के शोर में भी रहकर
सच कहने की आदत है।।
मैं सागर से भी गहरा हूँ
तुम कितने कंकड़ फेकोगे
चुन चुन कर आगे बढूंगा मैं
तुम मुझको कब तक रोकोगे।।
झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ,
अब फिर झुकने का शौक नहीं
अपने ही हाथों रचा स्वयं
तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं।।
तुम हालातों की भठ्ठी में
जब जब मुझको झोकोगे
तब तप कर सोना बनूँगा
तुम मुझको कब तक रोकोगे।।
- अमिताभ बच्चन
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