पीलीभीत: सेंटर पर न किसान न ही धान, शटर में बंद कांटे..साहब! ये कैसी धान खरीद!

पीलीभीत: सेंटर पर न किसान न ही धान, शटर में बंद कांटे..साहब! ये कैसी धान खरीद!

पीलीभीत, अमृत विचार। इस  बार भी धान खरीद कागजों में भले ही शासन की मंशा को पूरी करती दिखाई दे रही हो। मगर, धरातल पर हालात बीते सालों से अलग नहीं है।  दो माह पूरे होने को हैं। खेतों में भी धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। सेंटरों पर खरीद से जुड़े संसाधन तालों में कैद पड़े हैं। बैनर तक हटा दिए गए हैं। अधिकांश क्रय केंद्र पर न तो किसान है, न ही धान।  मगर, आंकड़ों में उछाल दिनोदिन हो रहा है। साफ तौर पर धान खरीद का खेल  चालू हो चुका है। यह बात दीगर रही कि जिम्मेदार आंकड़ों की पेशकश  के बीच खुद की निगाहें फेर चुके हैं।

जनपद में धान खरीद को लेकर तमाम तैयारियां महीनों पहले कर ली गई। इसके बाद एक अक्टूबर से धान खरीद शुरू हुई, जिसे अब दो माह पूरे होने वाले हैं। किसान को उसकी फसल का सरकारी क्रय केंद्रों पर वाजिब दाम दिलाने के लिए तमाम दावे किए गए। अधिकारियों ने निरीक्षण कर बंदोबस्त को दुरुस्त बताते हुए बयानबाजी की। इसके बाद हर बार की तरह की खेल की शुरुआत ये कहकर हुई कि आढ़तों पर अधिक दाम मिलने पर केंद्र सूने पड़े हैं। फिर सीधी खरीद राइस मिलर्स द्वारा भी हुई।  जिले में छह एजेंसियों के 155 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। जिनमें लक्ष्य 2.40 लाख मीट्रिक ट्रन के सापेक्ष तेईस नंवबर तक 60594.75 मीट्रिक टन की खरीद दर्शाई गई है, जोकि लक्ष्य के सापेक्ष 25.25 प्रतिशत है। अधिकारियों का दावा है कि वह लक्ष्य हासिल करने में कामयाब भी होंगे। मगर, धरातल पर क्रय केंद्रों की मौजूदा तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है।  सेंटर प्रभारियों की छोड़िये कई जगह तो सेंटरों का ही अता-पता नहीं लगाया जा सकता।  बैनर गायब हैं, तो कहीं उतारकर मोड़कर छिपाकर रखे हुए हैं।  केंद्र पर एक दाना धान भी दिखाई नहीं दे रहा। कांटे और वारदाना ताले में कैद है। खरीद शून्य पड़ी ह़ई है। फिर भी लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ने के दावे तमाम सवाल उठा गए हैं। मंगलवार को अमूत विचार की टीम ने कुछ क्रय केंद्रों पर पहुंचकर हालात परखे तो हैरान करने वाली तस्वीर उजागर हुई। जिन-जिन सेंटरों पर टीम पहुंची, वहां दोपहर दो बजे तक न तो कोई किसान पहुंचा न ही धान। मुहैया कराए गए खरीद से जुड़े संसाधन भी तालों में कैद थे।  मगर, जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता दिखा।  

सराय सुंदर में क्रय केंद्र के नाम पर मजाक
सराय सुंदरपुर गांव में खाद गोदाम परिसर में धान खरीद केंद्र बनाया गया है। यहां के प्रभारी प्रभाकर बताए गए। परिसर में कहीं पर भी कोई बैनर नहीं लगा था। छलना रखा हुआ था और उस पर मोड़कर बैनर छिपाकर रखा हुआ था। परिसर में धान का एक भी  दाना नहीं था। एक व्यक्ति गेट पर ही कुर्सी डालकर बैठे हुए थे, उन्हें ही केंद्र का प्रभारी बताया गया। फिर जैसे ही सवाल जवाब हुए और फोटों खींचे गए तो कुछ कर्मियों को बुलाकर पहले बैनर टंगवाया गया।  इसके बाद शटर के भीतर बंद तराजू को बाहर निकलवाया। जबकि दोपहर के दो बज रहे थे। इसके अलावा वारदाना भी एक कमरे में ही रखा था।  खरीद भी शून्य ही बताई गई। मगर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा सका।

डिप्टी आरएमओ बोले- एआर कोऑपरेटिव ज्यादा बेहतर बता देंगे
धान खरीद को लेकर उठ रहे सवालों और उजागर हुई अनियमितताओं के बारे में जब डिप्टी आरएमओ विजय कुमार शुक्ला से वार्ता की गई तो वह पल्ला झाड़ गए।  सराय सुंदरपुर के क्रय केंद्र को लेकर बताया कि ये तो सहकारिकता का क्रय केंद्र है। ये केंद्र अगर बंद पड़ा था और तराजू बगैराह भी बाहर निकाले गए थे। इसके बारे में ज्यादा बेहतर एआर कोऑपरेटिव बता सकेंगे। बकाया धान खरीद शासन की मंशा के तहत कराई जा रही है।

ये भी पढ़ें - पीलीभीत: कोहरे का कहर...दो ट्रकों में टक्कर के बाद टकराई निजी बस, दोनों ट्रक चालकों की मौत, चार घायल