महाकुम्भ 2025 : देश, विदेश के दो हजार से अधिक प्रमुख संत, महात्मा करेंगे कल्पवास
प्रमुख मार्गों के नाम देवी, देवता, महात्मा के नाम पर
45 दिन के महाकुंभ में कथा, प्रवचन, रामलीला , रासलीला, यज्ञ, भण्डारा चलता रहेगा
प्रयागराज, अमृत विचार: तीर्थराज प्रयागराज के संगम की रेती पर आध्यात्मिक नगरी महाकुंभ तेजी से बसने लगी है। चकर्ड प्लेट की सड़कें, बिजली, पानी, पाण्टून पुल, फूस की झोपड़ी, काटेज सहित अन्य तैयारियां व्यापक स्तर पर शुरू हो गयी है। यहां पर महाकुंभ के दौरान कथा, प्रवचन, रामलीला, रासलीला, हवन, यज्ञ, भण्डारा सहित अन्य कार्यक्रम चलता रहेगा जिसमें करोड़ों श्रद्धालु, स्नानार्थी और कल्पवासी शामिल होकर अक्षय पुण्य अर्जित करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मेला क्षेत्र के सभी प्रमुख मार्गो के नाम देवी, देवता और महात्माओं के नाम पर है।
तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ - 2025 की तैयारियां व्यापक स्तर पर शुरू हो गयी है। मेला क्षेत्र को 4100 हेक्टेयर जमीन और 25 सेक्टरों में बसाया जा रहा है। लोगों को मेला क्षेत्र में आने - जाने के लिए गंगा और यमुना नदी पर 30 पाण्टून पुल बनाये जा रहे हैं। मेला क्षेत्र में स्वच्छता के लिए डेढ़ लाख टायलेट्स की व्यवस्था हो गयी है। मेला क्षेत्र में केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विकास योजनाओं और महाकुंभ मेला क्षेत्र में किए जा रहे विकास कार्यों के होर्डिंग्स लग गये है। मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए 50 थाना और आग से बचाव के लिए पांच दर्जन स्थानों पर फायर ब्रिगेड की व्यवस्था की गयी है। करोड़ों लोगों की प्यास बुझाने के लिए पांच दर्जन से ज्यादा ट्यूबेल लगाये गये है। 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था की गयी है। मेला के दौरान विद्युत आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। मेला क्षेत्र के चारों तरफ पत्थर की दो लेन की सड़क बन रही है। संगम, दारागंज, बलुआघाट, अरैल सहित अन्य घाटों पर पक्के घाटों का निर्माण चल रहा है। अक्षय वट, बड़े हनुमान मंदिर, अलोपीबाग मंदिर और भारद्वाज पार्क में कारीडोर का निर्माण अंतिम चरण में है। बमरौली एयरपोर्ट का विस्तार हो गया है। चौफटका, आईआईटी और अलोपीबाग में फ्लाईओवर का निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है जबकि सलोरी, बेगम बाजार और बक्शी बांध फ्लाईओवर का निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है।
महाकुंभ मेला क्षेत्र कुल 25 सेक्टरों में बसाया जा रहा है। प्रत्येक सेक्टर में प्रमुख संत, महात्माओं और संस्थाओं के शिविर लग रहे हैं। महाकुंभ के मेला क्षेत्र के प्रमुख नाम देवी, देवता और महात्माओं के नाम पर है जैसे कि त्रिवेणी मार्ग, महावीर मार्ग, काली मार्ग, नागवासुकी मार्ग, हरिश्चंद्र मार्ग, संगम लोवर मार्ग, मुक्ति मार्ग, सूरदास मार्ग, भारद्वाज मार्ग, रामानंद मार्ग, अक्षय वट मार्ग, समुद्र कूप मार्ग सहित अन्य है। महाकुंभ में देश, विदेश के हजारों संत, महात्माओं के शिविर लगने लगे हैं। इनमें प्रमुख जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, दिगम्बर, निर्मोही, उदासीन सहित अन्य अखाड़े है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती, शंकराचार्य देवतीर्थ स्वामी अद्मोक्षजानंद सरस्वती, पद्मभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महराज,आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जगदगुरू गर्गाचार्य स्वामी महेन्द्रानंद गिरि महराज, जगद्गुरु स्वामी भुवनेश्वरी नंद गिरी पटियाला, महामंडलेश्वर स्वामी गुरुशरणानंद महराज, परमहंस स्वामी प्रभाकर महराज, अखिल भारतीय दण्डी संन्यासी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महराज, पीठाधीश्वर स्वामी शंकराश्रम महराज, अखिल भारतीय दण्डी प्रबंधन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीठाधीश्वर स्वामी विमलदेव आश्रम, जगद्गुरु स्वामी नारायणाचार्य शांडिल्य जी महराज श्रृंगवेरपुर धाम, किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज, उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य और उप्र किन्नर अखाड़ा की प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि (टीना मां), विश्व की प्रथम पांच भाषाओं में श्रीमद्भागवद् कथा करने वाली किन्नर महामंडलेश्वर स्वामी हिमांगी सखी मां, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती, प्रसिद्ध कथावाचक पं देवकीनंदन ठाकुर, बागेश्वर धाम के स्वामी धीरेन्द्र शास्त्री, प्रसिद्ध कथावाचक साध्वी राधिका वैष्णव, ओम नमः शिवाय के पूज्य गुरुदेव, क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान झूंसी के स्वामी योगी सत्यम महराज, सहित 13 अखाड़ों के बड़ी संख्या में संत, महात्माओं के शिविर महाकुंभ में लग रहे हैं।
अखिल भारतीय दण्डी संन्यासी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महराज का कहना है कि संगम की रेती पर आध्यात्मिक नगरी बस रही है। यहां पर लोग भगवद् भजन, हवन और अन्न क्षेत्र में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि देश और विदेश के करोड़ों लोग संगम की रेती पर आस्था, विश्वास और मोक्ष प्राप्ति के लिए आते हैं। जगद्गुरु स्वामी नारायणाचार्य शांडिल्य जी महराज श्रृंगवेरपुर धाम का कहना है कि तीर्थराज प्रयागराज भगवान ब्रह्मा की तपोभूमि रही है। उन्होंने कहा कि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि के शुभारंभ से पूर्व तीर्थराज प्रयागराज में विशाल यज्ञ किया था। माघ मास, अर्द्ध कुंभ और महाकुंभ में सभी तैंतीस कोटि देवी, देवता तीर्थराज प्रयागराज में वास करते हैं।
विश्व की प्रथम पांच भाषाओं में श्रीमद्भागवद् कथा करने वाली किन्नर महामंडलेश्वर स्वामी हिमांगी सखी मां का कहना है कि तीर्थराज प्रयागराज के महाकुंभ में शामिल होने भर से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। यहां पर कल्पवास करते हुए भगवद् भजन, हवन और अन्न क्षेत्र चलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। माघ मेला, अर्द्ध कुंभ और महाकुंभ में सबसे बड़ा अन्नक्षेत्र चलाने वाले ओम नमः शिवाय के पूज्य गुरुदेव का कहना है कि तीर्थराज प्रयागराज का संगम क्षेत्र पूजन और सेवा की तपोभूमि है। यहां आकर सेवा, तप करने वालों को अक्षय पुण्य का लाभ मिलता है, ऐसे में प्रत्येक सनातनी को तीर्थराज प्रयागराज अवश्य आना चाहिए। हरिश्याम मानव कल्याण शिक्षा एवं शोध संस्थान प्रयागराज के सचिव और वरिष्ठ समाजसेवी राजीव कुमार मिश्र का कहना है कि महाकुंभ जैसे दिव्य, भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए देश, विदेश से बड़ी संख्या में संत, महात्मा और करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं इससे सनातन धर्म को मजबूती के साथ संरक्षण मिलता है। उन्होंने कहा कि तीर्थराज प्रयागराज का प्राचीन काल से सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व था जो आज भी है।
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