बरेली: बसपा से आज तक महिला विधायक की नहीं हो सकी ताजपोशी

बरेली,अमृत विचार। बरेली की विधानसभा सीटों पर बसपा से अब तक कोई महिला प्रत्याशी विधायक की कुर्सी पर विराजमान नहीं हो सकी। हालांकि पार्टी के गठन के बाद से अब तक महिला उम्मीदवारों की संख्या काफी कम रही है। वर्ष 1986 में कैंट और फरीदपुर विधानसभा सीटों पर बसपा ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में …

बरेली,अमृत विचार। बरेली की विधानसभा सीटों पर बसपा से अब तक कोई महिला प्रत्याशी विधायक की कुर्सी पर विराजमान नहीं हो सकी। हालांकि पार्टी के गठन के बाद से अब तक महिला उम्मीदवारों की संख्या काफी कम रही है। वर्ष 1986 में कैंट और फरीदपुर विधानसभा सीटों पर बसपा ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था लेकिन बसपा को इन दोनों ही सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा।

इसके बाद से महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिले हैं। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि महिला उम्मीदवारों की संख्या भी काफी कम रही है। करीब 36 साल बाद बसपा ने आरक्षित फरीदपुर सीट पर महिला उम्मीदवार शालिनी सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है। जाहिर है कि बसपा ने एक अरसे बाद किसी महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है।

वर्ष 1986 में बसपा के अस्तित्व में आने के बाद पार्टी ने बरेली जिले की दो सीट पर वर्ष 1986 के विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इसमें कैंट से तारादेवी और फरीदपुर सीट से चंपा गौतमी का टिकट फाइनल हुआ था लेकिन इन दोनों ही सीटों पर बसपा को शिकस्त झेलनी पड़ी।

इसके बाद विधानसभा के चुनावों में एक तरह से महिला उम्मीदवारों की भागीदारी शून्य रही और बसपा के गठन के बाद अब तक बरेली की किसी सीट पर कोई महिला उम्मीदवार की विधायक की कुर्सी को लेकर ताजपोशी नहीं हो सकी है। इसके बाद पार्टी ने महिला उम्मीदवारों को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई तो महिला दावेदार भी सामने नहीं आईं।

इसका नतीजा यह रहा कि आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रही महिलाओं पर बसपा के चुनाव रण से एक तरह से विरत हो गईं। पार्टी ने लंबे समय बाद अब इस कमी को महसूस किया है। शायद यही वजह है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में फरीदपुर की आरक्षित सीट करीब 36 साल के लंबे अंतराल के बाद महिला उम्मीदवार शालिनी सिंह का टिकट फाइनल किया गया है।

हालांकि शालिनी सिंह ने पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद वह सपा से टिकट पाने की मशक्कत कर रही थी लेकिन बाद में वे हाथी पर सवार हो गईं और अब बसपा ने उन पर भरोसा किया है। शालिनी सिंह का टिकट फाइनल होने के साथ ही उनके साथ बसपा से लंबे समय बाद महिला उम्मीदवार बनाए जाने का इतिहास भी जुड़ गया है।

फरीदपुर आरक्षित सीट पर सिर्फ एक बार जीती बसपा
बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी और सपा दोनों का लंबे समय तक कब्‍जा रहा है। यह क्षेत्र 1974 से लगातार एससी आरक्षित है। बावजूद इसके यहां से बसपा मात्र एक बार 2007 में जीत पाई है। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी प्रत्‍याशी डॉ. श्याम बिहारी लाल ने 24,721 वोटों से सपा के डॉ. सियाराम सागर को मात दी थी।

इससे पहले 2012 में सियाराम सागर ने श्यामबिहारी लाल को 16,787 वोटों से हराया था। फरीदपुर विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 हुआ था। यह सीट लंबे समय से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है। 1952 से 1967 तक यह आरक्षित सीट रही, लेकिन 1967 में इसे सामान्य सीट बना दिया गया था। तब कांग्रेस के डीपी सिंह इस सीट से चुनाव जीते थे।

फिर 1969 में उपचुनाव हुए जिसमें भारतीय क्रांति दल के राजेश्वर सिंह विधायक बने। इसके बाद 1974 में फिर इस सीट को आरक्षित कर दिया गया। तब से यह रिजर्व चली आ रही है।

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