बरेली: इस पॉलीबैग से जाम नहीं होगा सीवर, रामपुर गार्डन के उद्यमी ने तैयार किया है विकल्प

बरेली: इस पॉलीबैग से जाम नहीं होगा सीवर, रामपुर गार्डन के उद्यमी ने तैयार किया है विकल्प

सुरेश पांडेय,बरेली, अमृत विचार। सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प स्वत: नष्ट होने वाली पॉली बैग के रूप में बरेली के उद्यमी ने तैयार किया है। इसे भुट्ठे के दाने और पॉलीब्यूटिलीन एडिपेट टेरेफ्थेलेट (पीबीएटी) नामक बायोडिग्रेडेबल रैंडम कॉपोलीमर का प्रयोग कर परसाखेड़ा फैक्ट्री में बनाया जा रहा है। पालीथिन की तरह दिखने वाले इस पॉलीबैग …

सुरेश पांडेय,बरेली, अमृत विचार। सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प स्वत: नष्ट होने वाली पॉली बैग के रूप में बरेली के उद्यमी ने तैयार किया है। इसे भुट्ठे के दाने और पॉलीब्यूटिलीन एडिपेट टेरेफ्थेलेट (पीबीएटी) नामक बायोडिग्रेडेबल रैंडम कॉपोलीमर का प्रयोग कर परसाखेड़ा फैक्ट्री में बनाया जा रहा है। पालीथिन की तरह दिखने वाले इस पॉलीबैग की खास बात यह है कि यह पानी में पड़ते ही एक घंटे में नष्ट और मिट्टी में मिलने से खाद बन जाएगा। इस पॉलीबैग को यदि नाला या नाली में भी फेंक दिया जाए तो इससे जाम नहीं होंगे, क्योंकि पानी में यह स्वत: ही कुछ समय बाद नष्ट हो जाएगा।

रामपुर बाग निवासी युवा हर्षित अग्रवाल ने इस पॉली बैग का प्लांट लगाने से पहले दो साल तक इस पर काफी अध्ययन किया। इसके लिए वह गुजरात, चेन्नई और कई जगह गए। यह प्लांट लगाने का विचार उनके दिमाग में उस समय आया, जब सरकार ने सिंगल यूज पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। तब उन्हें यह कांस्पेप्ट भविष्य के बेहतर विकल्प के रूप में लगा और दो साल अध्ययन करने के बाद उन्होंने बरेली में यह प्लांट लगाया।

भविष्य में इसका विस्तार हो, इसके लिए ज्यादा क्षमता का लाइसेंस भी लिया लेकिन दुखद है कि अपने ही शहर और प्रदेश में पर्यावरण के अनुकूल इस पॉलीबैग को सपोर्ट नहीं मिल रहा। दिल्ली में जहां इसे हाथों हाथ लिया जाना चाहिए था, वहां भेजा गया माल बिक नहीं रहा। वहां सिंगल यूज प्लास्टिक की भरमार है, जो नदी, नाले व नालियों में जा रही है। खुले में फेंकी जा रही है, जो पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है। प्रदेश में भी यही हाल है। इसलिए उन्हें माल पंजाब और झारखंड भेजना पड़ रहा है।

सरकार इंपोर्ट ड्यूटी खत्म कर दे तो पर्यावरण के अनुकूल बैग हो सकते हैं तैयार
हर्षित अग्रवाल ने बताया कि तमिलनाडु सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग के प्रतिबंध पर सख्त है। वह बायो डिग्रेडेबल पॉलीबैग के प्रति गंभीर है। इसके लिए वह सेमिनार व प्रदर्शनी भी लगा रही। वह बताते हैं कि जर्मनी से इसके लिए कच्चा माल आता है। सरकार उस पर इंपोर्ट ड्यूटी और फिर जीएसटी भी लेती है। यदि सरकार इंपोर्ट ड्यूटी खत्म कर दे तो पर्यावरण के अनुकूल बैग की कीमत बहुत कम हो जाएगी। अभी प्रति किलो यह 280 रुपये प्लस जीएसटी है, जबकि सिंगल यूज प्लास्टिक जो कि प्रतिबंधित है, वह 125 रुपये किलो धड़ल्ले से बिक रही है।

यह है लाभ

  • यह प्रोडक्ट बायो डिग्रेबिल होता
  • मिट्टी में मिलते ही खाद बन जाएगा
  • पॉलीथिन जैसा ही मजबूत रहेगा
  • छह माह ही काम करेगा, इसके बाद हवा पानी के संपर्क में आने पर कागज की तरह हो जाएगा
  • पॉलीथिन के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पीस रहेंगे

क्या है बायोडिग्रेबिल
यह ऐसा कूड़ा या अपशिष्ट है जो प्राकृतिक रूप से सड़ या गल जाता है और प्रदूषण नहीं करता है। ऐसे कूड़े को गलाने के लिए कृत्रिम रसायन की जरूरत नहीं होती है। प्राकृतिक रूप से अपने आप सड़-गल कर वातावरण का हिस्सा बन जाता है। इससे प्रकृति को कोई नुकसान नहीं होता है।

मेयर व नगर आयुक्त कर रहे सपोर्ट, लेकिन कर्मचारी नहीं
मेयर डा. उमेश गौतम और नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स पर्यावरण के अनुकूल पॉलीबैग का सपोर्ट कर रही हैं, लेकिन नगर निगम के कर्मचारी इसके विरोध में हैं। गुलाबराय इंटर कॉलेज के पास समोसे की दुकान चलाने वाले पोथीराम ने यही पॉलीबैग अपनी दुकान पर रखा था उसका चालान कर दिया गया। हर्षित बताते हैं कि उनके द्वारा निर्मित बैग में पूरा डिटेल और क्यूआर कोड भी दिया है।

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