बरेली: जिला प्रबंधक को छोड़ने वाली एंटी करप्शन टीम सवालों में घिरी, वीडियो वायरल
बरेली/पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत में ठेकेदार से रिश्वत लेने के मामले की शिकायत पर गुरुवार को बरेली से गई एंटी करप्शन टीम ने यूपीएसएस के जिला प्रबंधक कार्यालय में छापा मारा और दो घंटे तक छानबीन करने के बाद साक्ष्य न मिलने की बात कहकर जिला प्रबंधक को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि रिश्वत …
बरेली/पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत में ठेकेदार से रिश्वत लेने के मामले की शिकायत पर गुरुवार को बरेली से गई एंटी करप्शन टीम ने यूपीएसएस के जिला प्रबंधक कार्यालय में छापा मारा और दो घंटे तक छानबीन करने के बाद साक्ष्य न मिलने की बात कहकर जिला प्रबंधक को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि रिश्वत लेने का हल्ला मचने पर जिला प्रबंधक निलंबित कर दिए गए थे।
इधर, शुक्रवार को इस प्रकरण में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एंटी करप्शन टीम की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। वीडियो में टीम के एक सदस्य की शिकायतकर्ता (ठेकेदार) से व्हाट्सएप कॉल पर बातचीत हो रही है। उसमें एंटी करप्शन टीम का सदस्य ठेकेदार से मामले को दबाने और मीडिया को मैनेज करने की बात कह रहा है। मामले के तार जिला प्रबंधक की जांच करने व छोड़ने से जोड़कर देखे जा रहे हैं। वीडियो उच्चाधिकारियों तक पहुंचने के बाद हल्ला मचा है।
पूरनपुर तहसील क्षेत्र के गांव कजरी निरंजनपुर गांव के ठेकेदार को 2021-22 में यूपीएसएस गेहूं ढुलाई का टेंडर मिला था। एजेंसी की तरफ से ढुलाई का भुगतान नहीं किया गया। ठेकेदार ने शिकायत की थी कि उससे भुगतान के नाम पर डेढ़ लाख रुपये यूपीएसएस के जिला प्रबंधक एसआर कुशवाहा ने सुविधा शुल्क में मांगे थे।
शिकायत के बाद गुरुवार को बरेली से आई एंटी करप्शन टीम ने जिला प्रबंधक के कार्यालय में छापा मारा था। ठेकेदार का कहना था कि उसने रिश्वत के तौर पर 50 हजार रुपये दिए थे मगर दो घंटे तक चली कार्रवाई के बाद टीम यह कहते हुए लौट गई थी कि उन्हें छानबीन के बाद नकदी बरामद नहीं हुई। फिलहाल टीम की कार्रवाई पर सवाल उसी वक्त उठने लगे थे। मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा तो जिला प्रबंधक का निलंबन कर जांच कमेटी गठित कर दी गई थी।
उधर, इस मामले ने शुक्रवार को एक वीडियो वायरल होने के बाद तूल पकड़ लिया। एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ है। जिसमें ठेकेदार व्हाट्सएप कॉल पर बात करता दिख रहा है। बताते हैं कि ठेकेदार की बात एंटी करप्शन टीम के एक सदस्य से हुई है। जिसमें ठेकेदार पर मीडिया को मैनेज करने के लिए कहा जाता है। ताकि इस रिश्वतखोरी के मामले को दबाया जा सके।
ठेकेदार से यह भी कहा गया कि मीडिया को इस इस तरह से न बताएं। बस यही कहते रहे कि कोई रिश्वत नहीं ली गई है। ठेकेदार ने दिए गए 50 हजार रुपये वापस कराने की भी बात कही। जिस पर एंटी करप्शन टीम के सदस्य ने कार्यालय आकर बात करने को कहकर टाल दिया। फिलहाल, अब यह मामला सिस्टम की पोल खोलता दिखाई दे रहा है। अफसर भी चुप्पी साध गए हैं।
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