चीन की चाल

गलवान घाटी में चीन के साथ हुई झड़प को एक वर्ष पूरा हो गया है। नियंत्रण रेखा पर तनाव अब भी बरकरार है। सीमा पर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पूर्वी लद्दाख में अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा रहा है और तेजी से सैन्य बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। सीमावर्ती …
गलवान घाटी में चीन के साथ हुई झड़प को एक वर्ष पूरा हो गया है। नियंत्रण रेखा पर तनाव अब भी बरकरार है। सीमा पर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पूर्वी लद्दाख में अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा रहा है और तेजी से सैन्य बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। सीमावर्ती राज्यों में चीन 16 नए एयरबेस बनाने में जुटा हुआ है। सभी एयरबेस की लोकेशन लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के नजदीक पड़ती हैं। खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह भारत-नेपाल-तिब्बत की सीमा से बहुत दूर नहीं है।
इनमें से अधिकतर शिंजिंयान प्रांत में हैं, जिसकी सीमा, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रूस के साथ लगती है। हाल की खबर है डेमचोक इलाके में भारतीय सीमा के भीतर चीन की सेना ने टेंट लगा दिए हैं। भारतीय अधिकारियों के अनुसार इन टेंटों में कथित नागरिक रह रहे हैं और भारत के कहने के बावजूद नहीं जा रहे हैं। यानि चीन उन इलाकों पर नजर गढ़ाए है, जहां से वह भारत पर नजदीक से नजर रख सकता है। चीन की हरकतों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों से जारी है। 1962 में दोनों देश एक युद्ध भी लड़ चुके हैं। पिछले साल के विवाद के बाद कई बार दोनों देशों के नेता मिल चुके हैं। पिछले साल सितंबर में रूस में हुई बैठक को याद करते हुए भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर विवाद से दूर रहने का जो समझौता हुआ था, उसका पूरी तरह पालन होना चाहिए। अब कोर कमांडर स्तर की वार्ता अगस्त के पहले सप्ताह में होने की बात कही जा रही है। अभी तक की बातचीत में चीन का अड़ियल रवैया सामने आया है। क्योंकि भारत चाहता है कि चीन टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी हो जबकि चीन सिर्फ सैनिकों की संख्या घटाने पर राजी है।
पिछले माह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के जरिये समस्याओं का समाधान निकालने की इच्छा रखता है। सरकार का विजन है कि सेना का मजबूत होना जरूरी है, जिससे वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रह सके। हालांकि भारत की ओर से भी बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के साथ ही सैन्य ताकत बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। फिर भी दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी है, ऐसे में भारत को सतर्क न रहने का जोखिम नहीं लेना चाहिए।