भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी दिव्य “रुद्राक्ष” की उत्पत्ति, कैसे बदलता है जीवन का भाग्य, आइए जानिए…

हल्द्वानी, अमृत विचार। भगवान शिव के आंसुओं से बना चमत्कारी बीज रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रीय है। रुद्र पुराण के अनुसार रुद्राक्ष के कई प्रकार हैं। रुद्राक्ष भगवान शिव को प्रिय है, इसलिए न स्वयं शिव बल्कि उनके भक्त कृपा पाने के लिए उसे हमेशा ही धारण किये रहते हैं। भोले का आशीर्वाद दिलाने …
हल्द्वानी, अमृत विचार। भगवान शिव के आंसुओं से बना चमत्कारी बीज रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रीय है। रुद्र पुराण के अनुसार रुद्राक्ष के कई प्रकार हैं। रुद्राक्ष भगवान शिव को प्रिय है, इसलिए न स्वयं शिव बल्कि उनके भक्त कृपा पाने के लिए उसे हमेशा ही धारण किये रहते हैं। भोले का आशीर्वाद दिलाने वाला रुद्राक्ष अलग-अलग प्रकार का होता है। रुद्राक्ष का अलग-अलग प्रकार देवी-देवताओं और कामनाओं से संबंध रखता है। विभिन्न मुखियों वाले रुद्राक्ष में विभिन्न तरह के देवी-देवता, ग्रह-नक्षत्रों का वास माना जाता है।
ग्यारह, बारह , तेरह और चौदह मुखी रुद्राक्ष
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान रुद्र का स्वरूप माना गया है,इससे लाभ, सम्मान और मन की शांति मिलती है। इसी तरह बारह मुखी रुद्राक्ष को सूर्य, अग्नि और तेज का प्रतीक माना गया है, इससे बीमारियां शरीर से दूर भागती हैं साथ ही स्वास्थ्य, सुख और वैभव मिलता है। तेरह मुखी रूद्राक्ष के बारे में बात की जाये तो ये विजय और सफलता का प्रतीक है, इससे सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि, आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है, वहीं चौदह मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर का प्रबुद्ध स्वरूप माना गया है, इससे कुंडलिनी जागृत करने में सहायक माना जाता है। ये साधक और योगी के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।
चार,पांच,छह और साथ मुखी रुद्राक्ष
चार मुखी रुद्राक्ष को स्वयं ब्रह्म का स्वरूप माना गया है इसे जो भी व्यक्ति धारण करता है ऐसी मान्यता है कि उसे मानसिक बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है। पांच मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि रुद्राक्ष कहा गया है इसे धारण करने से मनुष्य अकाल मृत्यु से बच जाता है साथ ही उच्च पद और प्रतिष्ठा पाता है। छह मुखी रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है इसे दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए, इसे जो भी धारण करता है उसे आलस और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। सात मुखी रुद्राक्ष को भगवान कामदेव का रूप माना जाता है, इसे धारण करने वाले साधक को यौन समस्याओं, और लीवर की बीमारी में राहत मिलती है।
एकमुखी, दो मुखी,तीन मुखी रुद्राक्ष का रहस्य
एक मुखी रुद्राक्ष भगवान भोलेनाथ का स्वयं का स्वरुप माना गया है इस धारण करने से शोहरत, पैसा, सफलता, धार्मिक काम में लाभ होता है, दो मुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का स्वरूप माना गया है इसे धारण करने से जितनी भी परेशानी, बीमारी है उससे मुक्ती मिल जाती है साथ ही कर्ज से भी य़े मुक्ति दिलाता है, तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का स्वरुप माना गया है इसे धारण करने वाले साधक को पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही ये आत्म विश्वास भी बढ़ाता है और यश कीर्ती दिलाता है।
आठ,नौ और दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में
आठ मुखी रुद्राक्ष की बात अगर करें तो ये भगवान गणेश और भगवान भैरव का प्रतीक माना गया है,इसे धारण करने वाले साधक को दुश्मनी जैसे शब्दों से निजात मिल जाती है और बाधाएं खत्म होती है साथ ही सद्गुण आने लगते हैं। नौ मुखी रुद्राक्ष को मां देवी भगवती और शक्ति का प्रतीक माना गया है इससे भक्ति और भाग्य में वृद्धि होती है। वहीं दस मुखी रुद्राक्ष के लाभ के बारे में बात करें तो इसे दशों दिशाओं और यम का प्रतीक माना गया है, इससे ग्रहशांति, भूतशांति, प्रेतआत्माओं से छूटकारा मिलता है।