बरेली: जिला महिला अस्पताल में हर माह 10 नवजात तोड़ रहे दम

बरेली: जिला महिला अस्पताल में हर माह 10 नवजात तोड़ रहे दम

बरेली, अमृत विचार। राज्य सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर योजना बनाई जा रही है, जिससे मातृ शिशु दर में कमी आई आए। मातृ शिशु दर में यहां के अस्पताल भी अछूते नहीं हैं। हालांकि यहां शिशुओं की मौत का आंकड़ा बहुत अधिक नहीं है फिर भी हर महीने करीब …

बरेली, अमृत विचार। राज्य सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर योजना बनाई जा रही है, जिससे मातृ शिशु दर में कमी आई आए। मातृ शिशु दर में यहां के अस्पताल भी अछूते नहीं हैं। हालांकि यहां शिशुओं की मौत का आंकड़ा बहुत अधिक नहीं है फिर भी हर महीने करीब 10 नवजात की मौत सवाल खड़े कर रही है।

जिले में पिछले जनवरी से अब तक यानि करीब सात माह के आंकड़े देखे जाएं तो अब तक इलाज के दौरान 94 शिशुओं की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा स्वास्थ्य महकमे के शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रयासों को झटका दे रहा है। जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड व महिला जिला अस्पताल के एसएनसीयू की बात की जाए तो छह महीने में करीब 1000 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया। कोरोना की दूसरी लहर में साढ़े तीन सौ से भी अधिक मरीज भर्ती हुए। महिला अस्पताल में पैदा हुए नवजात के साथ ही अन्य अस्पतालों में पैदा होने वाले बच्चे भर्ती हुए।

एसएनसीयू में 94 नवजात ने दम तोड़ा
दर्जन भर से अधिक नवजात यहां से हायर सेंटर को रेफर किए गए। एसएनसीयू में 94 नवजातों ने दम तोड़ा। जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड और महिला अस्पताल के बीच नवजात को इलाज के लिए टालने का खेल काफी दिन चला। जिला अस्पताल से कई बार बच्चों को सीधे महिला अस्पताल में भर्ती करने के लिए भेज दिया जाता था। वहीं, कई बार महिला अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों को इलाज के लिए पुरुष अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराया जाता है।

लापरवाही में ही चार डॉक्टरों पर हुई कार्रवाई
नवजात के इलाज में लापरवाही के चलते ही करीब दो साल पहले तत्कालीन सीएमएस और एक बाल रोग विशेषज्ञ को शासन ने निलंबित कर दिया था। एक संविदा के डॉक्टर की सेवाएं समाप्त की गईं। एक नवजात को पुरुष अस्पताल की ओपीडी से एसएनसीयू भेजा गया। वहां से फिर ओपीडी भेजा। समय बीतने पर नवजात की मौत हो गई थी। फिलहाल चिकित्सकों का दावा है कि व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है।

एसएनसीयू वार्ड में व्यवस्थाएं काफी सुधरी हैं। भर्ती होने वाले सभी मरीजों को इलाज दिया जा रहा है। गंभीर मरीजों को रेफर कर देते हैं। -डा. अलका शर्मा, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका

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