बरेली: 259 करोड़ पर ब्याज खा रहीं चीनी मिलें, भुगतान को तरस रहे किसान
बरेली, अमृत विचार। किसानों की मेहनत पर चीनी मिलें ब्याज कमाकर खा रहीं हैं। यह गोरखधंधा साल दर साल चला आ रहा है। मिलीभगत से चल रहे खेल पर न सरकार और न ही स्थानीय अधिकारी कोई कार्रवाई करते हैं और किसान अपनी फसल के भुगतान के लिए तरस रहे हैं। चीनी मिलों को बंद …
बरेली, अमृत विचार। किसानों की मेहनत पर चीनी मिलें ब्याज कमाकर खा रहीं हैं। यह गोरखधंधा साल दर साल चला आ रहा है। मिलीभगत से चल रहे खेल पर न सरकार और न ही स्थानीय अधिकारी कोई कार्रवाई करते हैं और किसान अपनी फसल के भुगतान के लिए तरस रहे हैं। चीनी मिलों को बंद हुए कई माह हो गए लेकिन किसानों को गन्ना मूल्य का अभी तक भुगतान नहीं मिला है। बताते हैं कि 259 करोड़ रुपए चीनी मिलों ने फंसा रखा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर जनपद में दौरा करने आए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से लेकर कई वरिष्ठ अधिकारी यह दावा कर चुके हैं कि किसानों का भुगतान जल्द कराएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मिलों के भुगतान करने के पीछे की कहानी के बारे में छानबीन की गयी तो ब्याजखोरी का मामला सामने आया। जिले की चार मिलें करीब 259 करोड़ रुपये पर करीब 10 करोड़ का ब्याज कमा रही हैं। ब्याज की मोटी रकम कमाने के चक्कर में किसानों की अनदेखी की जा रही है।
हर सीजन में गन्ना विभाग किसानों को आश्वासन देता है कि समय से भुगतान कराएंगे लेकिन पिछले कई सालों से यह फार्मूला जिले की चीनी मिलों पर लागू नहीं हो सका है। आज भी जनपद के किसान बकाया गन्ना मूल्य पाने के लिए तरस रहे हैं। वह मिलों के अलावा गन्ना विभाग कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं होता दिख रहा। किसानों को न तो समय पर गन्ना मूल्य भुगतान मिल रहा है और न ही बकाया गन्ना मूल्य पर ब्याज।
गन्ना क्रय अधिनियम में गन्ने को मिल में सप्लाई करने के बाद 14 दिनों के अंदर भुगतान करने का प्रावधान है। भुगतान न होने पर किसानों को बकाया गन्ना मूल्य पर 15 फीसदी की दर से ब्याज देने का नियम भी है लेकिन अफसरों की सुस्ती के कारण किसान इस लाभ से वंचित रहते हैं। जिले की पांच चीनी मिलों में सबसे अच्छी स्थिति फरीदपुर की द्वारिकेश चीनी मिल की है।
शत प्रतशित भुगतान किया जा चुका है। दूसरे नंबर मीरगंज की धामपुर चीनी मिल किसानों का 98 फीसदी भुगतान कर चुकी है। वहीं, भुगतान के मामले में बहेड़ी की केसर इंटरप्राइजेज, नवाबगंज की ओसवाल और सेमीखेड़ा की सहकारी चीनी मिल फिसड्डी साबित हो रही है। इन मिलों पर चालीस फीसदी से अधिक का बकाया चल रहा है।
जनपद की चीनी मिलें गन्ना भुगतान करने में बरेली मंडल में प्रथम स्थान पर हैं। गन्ना भुगतान करने में पीलीभीत की चीनी मिलें फिसड्डी साबित हो रही हैं। बकाया गन्ना मूल्य भुगतान में कोताही पर चीनी मिलों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया जा रहा है। मिलों को कई बार नोटिस भेजे जा चुके हैं। -पीएन सिंह, जिला गन्ना अधिकारी
चीनी मिलों पर बकाया धनराशि
- 15133.73 लाख रुपए, केसर इंटरप्राइजेज मिल
- 432.89 लाख रुपए, धामपुर चीनी मिल
- 6369.75 लाख रुपए, ओसवाल मिल
- 3967.402 लाख रुपए, सेमीखेड़ा सहकारी मिल