Bareilly: पुराने जख्म! जस्टिस वर्मा का वो फैसला जिसे आज तक नहीं भूले पप्पू भरतौल

सीता को माल्टा भेजने की प्रक्रिया जारी रखने का निर्णय दिया था यशवंत वर्मा ने

Bareilly: पुराने जख्म! जस्टिस वर्मा का वो फैसला जिसे आज तक नहीं भूले पप्पू भरतौल

विधि संवाददाता, अमृत विचार। घड़े में बंद मिली बच्ची के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस यशवंत वर्मा ने बच्ची को माल्टा भेजने की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) को निर्देश दिया था। फैसले के विरोध में पूर्व विधायक पप्पू भरतौल ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी। हालांकि, फैसला उनके हक में नहीं आया था। जस्टिस वर्मा वर्तमान में सुर्खियों में हैं, वहीं पूर्व विधायक जस्टिस वर्मा के फैसले से अब तक आहत हैं।

पूर्व विधायक पप्पू भरतौल ने अमृत विचार को बताया कि करीब ढाई वर्ष पहले माल्टा के दंपती पर विहिप कार्यकर्ता ने बरेली में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था। उस मुकदमे का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद हाईकोर्ट होना चाहिए था, जिसको जस्टिस वर्मा ने बगैर क्षेत्राधिकार के दिल्ली हाईकोर्ट में स्टे कर दिया। बच्ची सीता बरेली में मिली थी। उसका मुकदमा यूपी में सुना जाना चाहिए था। दत्तक ग्रहण पर रोक लगने पर माल्टा के दंपती दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा की अदालत में पहुंचें। जहां अदालत ने पूर्व विधायक को पार्टी तक नहीं बनाया। उनकी बात को भी नहीं सुना।

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पूर्व विधायक के अनुसार माल्टा के दंपती के हक में कोर्ट ने निर्णय सुना दिया, इसके विरोध में वह सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने खुद बहस की थी। इस मामले के बाद तत्कालीन मंत्री स्मृति ईरानी ने दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में परिवर्तन किया था। पहले कारा वेबसाइट को हैक कर लिया जाता था। सही बच्चे को विकलांग दिखा दिया जाता था।