148 साल बाद शनि जयंती पर बन रहा दुर्लभ संयोग, भारत में इस जगह पर दिखेगा सूर्य ग्रहण

148 साल बाद शनि जयंती पर बन रहा दुर्लभ संयोग, भारत में इस जगह पर दिखेगा सूर्य ग्रहण

नई दिल्ली। 148 साल बाद शनि जयंती पर दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। शनि जयंती, सूर्य ग्रहण और वट सावित्री अमावस्थ्या तीन दोनों एक ही दिन 10 जून को होगी। इसके साथ ही एक संयोग यह भी है कि शनि अपनी ही राशि मकर में वक्री हैं। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा जो भारत …

नई दिल्ली। 148 साल बाद शनि जयंती पर दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। शनि जयंती, सूर्य ग्रहण और वट सावित्री अमावस्थ्या तीन दोनों एक ही दिन 10 जून को होगी। इसके साथ ही एक संयोग यह भी है कि शनि अपनी ही राशि मकर में वक्री हैं। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा जो भारत में केवल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सूर्यास्त के कुछ समय पहले देखा जा सकेगा। इसके अलावा भारत के अन्य भागों से यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई पड़ेगा।

ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 10 जून गुरूवार को होगी। इसी दिन इस साल का पहला सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। यह वलयाकार सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 1.42 बजे से शाम 6.41 बजे तक रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण का योग करीब 148 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 26 मई 1873 को शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण पड़ा था।

भारत में इस सूर्य ग्रहण के दिखाई देने की बात करें तो इसे शाम को लगभग 5.52 बजे अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य के पास से देखा जा सकेगा। जबकि लद्दाख के उत्तरी हिस्से में ये शाम लगभग 6 बजे दिखाई देगा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा परंतु भारत में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में होगा। हालांकि यह इस साल का दूसरा ग्रहण होगा। इससे पहले बीती 26 मई को पहला चंद्रग्रहण लगा था।

न्याय के अधिपति शनिदेव का है प्रकटोत्सव
ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव मनाया जाता है। शनि से जुड़े दोषों से राहत पाने के लिए यह खास दिन होता है। यह न्याय के अधिपति देव हैं। यह अच्छे कर्म करने वालों से प्रसन्न रहते हं। इनकी कृपा प्राप्ति के लिए वृद्ध रोगी, दिव्यांग व असहाय लोगों की सेवा और जरूरतमंदों को भोजन कराया जाता है।

व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करेंगी महिलाएं
वट सावित्री अमावस्या सुहागिन महिलाओं के लिए खास दिन होता है। इसी दिन सावित्री ने इसी पूजा से यमदेव को प्रसन्न कर पित सत्यवान के प्राणों की रक्षा थी। अमावस्या पर महिलाएं वट वृक्ष की जड़ में जल डालने के बाद उसके तने पर कच्चा धागा लपेटकर पूजन करेंगी।

भारत के आलावा यहां देखा जा सकेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण
यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, उत्तरी कनाडा, यूरोप और एशिया, ग्रीनलैंड, रूस के बड़े हिस्‍से में दिखाई देगा। हालांकि कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में वलयाकार जबकि उत्तर अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, यूरोप और उत्तर एशिया में आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखाई देगा।