बरेली: मजबूरी, बेबसी, भूख और लॉकडाउन…कभी थी बिरयानी की दुकान, अब लगा रहे ठेला

बरेली, अमृत विचार। महामारी का असर लोगों पर असर तरह हावी हुआ है कि उन्हें अपना कारोबार तक बदलना पड़ गया है। हालात ये हो चुके हैं कि लोगों को अपना घर चलाने के लिए दुकानों को छोड़कर ठेला लगाना पड़ रहा है। जिन्होंने कभी ठेला न लगाया वो अब ठेलों पर फल और सब्जियां …
बरेली, अमृत विचार। महामारी का असर लोगों पर असर तरह हावी हुआ है कि उन्हें अपना कारोबार तक बदलना पड़ गया है। हालात ये हो चुके हैं कि लोगों को अपना घर चलाने के लिए दुकानों को छोड़कर ठेला लगाना पड़ रहा है। जिन्होंने कभी ठेला न लगाया वो अब ठेलों पर फल और सब्जियां बेच रहे हैं। आरोप तो यह भी है कि पुलिस प्रशासन इन ठेले वालों को भी रोक-टोक करती है। वहीं शासन ने गरीब लोगों को जो एक हजार रुपये देने की बात कही थी उसका भी गरीबों को कोई अता-पता नहीं लग रहा है।

अब कचहरी के पास फल का ठेला लगाने वाले बबलू का कहना है कि लाकडाउन से पहले कमिश्नरी के पास उनकी वेज बिरयानी की दुकान हुआ करती थी। लेकिन जब लाकडाउन हुआ तो दुकान बंद करनी पड़ गई। इसके बाद हालात यह हो गए कि घर भी चलाना मुश्किल हो रहा था। बच्चों का पेट भरने के लिए फल का ठेला लगाना शुरू कर दिया।

उधर, दूसरी ओर फल बिक्रेता आरिफ का कहना था कि मंडी में जाओ तो पुलिस लाठियां मारकर भगाती है। ऐसे में उनसे यह पूछने वाला कोई नहीं कि जब आप ठेले वालों को ही मंडी से कुछ नहीं खरीदने देंगे तो फिर मंडी भी क्यों खोली है। उसे भी बंद कर देना चाहिए। कम से कम जब मंडी बंद होगी तो कोई वहां जाएगा तो नहीं।
पहले एक दिन में जितनी बिक्री होती थी अब तीन दिनों में हो रही
ठेले वालों का कहना था कि लाकडाउन से पहले एक दिन में जितनी बिक्री होती थी उतनी बिक्री तीन दिनों में हो रही है। जिसकी वजह से उनका काफी नुकसान हो रहा है। बिकने के बाद जितना माल बचता है उसे वापस ले जाना पड़ता है। अगले दिन तक उसमें से भी कुछ माल खराब भी हो जाता है। जिससे काफी नुकसान हो रहा है।