कोरोना योद्धाओं की सुध

देश में कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन चार लाख मामले सामने आ रहे हैं। दूसरी लहर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। चिकित्सा सुविधाएं बौनी पड़ गई हैं। कई राज्यों में अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों, टीकों, ऑक्सीजन, दवाओं और बिस्तरों की कमी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न अस्पतालों के लिए निजी क्षेत्र के …

देश में कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन चार लाख मामले सामने आ रहे हैं। दूसरी लहर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। चिकित्सा सुविधाएं बौनी पड़ गई हैं। कई राज्यों में अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों, टीकों, ऑक्सीजन, दवाओं और बिस्तरों की कमी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न अस्पतालों के लिए निजी क्षेत्र के एवं सेवानिवृत्त चिकित्सक, नर्स व पैरा मैडिकल स्टाफ को कोविड वार्डों के लिए भर्ती करने का निर्णय लिया है।

इस बीच कोरोना मरीजों के उपचार में लगे चिकित्सकों व नर्सों के साथ बदसलूकी व मारपीट की विचलित कर देने वाली खबरें भी आई हैं। रविवार को बलिया जिले के फेफना क्षेत्र में एक सरकारी अस्पताल में कोविड-19 संक्रमित बुजुर्ग महिला की मौत से नाराज उसके परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग की टीम पर तड़के हमला करके दो चिकित्सकों समेत चार स्वास्थ्य कर्मियों को घायल कर दिया। अस्पतालों में चिकित्सकों व सहयोगी स्टाफ पर लगातार काम का दबाव बढ़ रहा है। वे भारी मानसिक तनाव में काम कर रहे हैं। वे संक्रमण के भय से अपने परिवार से भी सामान्य ढंग से नहीं मिल पाते। उन्हें निजी जिंदगी की खुशियों के साथ भी समझौता करना पड़ रहा है।

बड़ी संक्रमित आबादी के लिए पर्याप्त चिकित्सक न होने पर दिल्ली, बिहार समेत देश के कई भागों में डीआरडीओ द्वारा तैयार कोविड अस्पतालों की बागडोर सेना को सौंपी गई है। जहां कोविड प्रोटोकॉल के साथ मरीजों को राहत दी जा रही है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों की शारीरिक व मानसिक परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं।

इस दौरान देश में एक हजार के करीब चिकित्सकों ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाई है। चिकित्सक भी संक्रमण के भय के बीच मरीजों को संभव इलाज देने का प्रयास कर रहे हैं। अहमदाबाद, ऋषिकेश, दिल्ली व लखनऊ में बड़ी संख्या में डॉक्टरों के संक्रमित होने के समाचार आए हैं। अस्पतालों में मौतों का अंतहीन सिलसिला उन्हें अवसाद व विवशता से भर देता है। ऐसे में महामारी से लड़ाई लड़ रहे प्रथम पंक्ति के इन योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने और उन्हें अवसाद से बचाने की जरूरत है।

प्रदेश सरकार का सभी स्वास्थ्य कर्मियों को 25 प्रतिशत अतिरिक्त मानदेय देने का फैसला स्वागत योग्य है। चौबीसों घंटे महामारी की त्रासदी से जूझना उनकी नियति बन चुकी है। चिंता, अनिद्रा, अवसाद व हताशा से जूझ रहे चिकित्साकर्मियों को राहत देने के लिए एक ऐसा चिकित्सा कार्यबल बनाया जाए जिसमें मनोचिकित्सक, फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती हो।

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