बरेली: पापा तो दुनिया छोड़कर चले गए, आप तो इंसाफ दिला दो!

बरेली: पापा तो दुनिया छोड़कर चले गए, आप तो इंसाफ दिला दो!

बरेली, अमृत विचार। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े अरविंद बाजपेई की मौत पर उनके परिवार ने सिस्टम पर सवाल उठाए हैं। 300 बेड अस्पताल के चिकित्सक व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बेटी स्वाती ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को पत्र भेजकर इंसाफ की गुहार लगाई है। कृष्णा कुंज निवासी अरिवंद बाजपेई …

बरेली, अमृत विचार। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े अरविंद बाजपेई की मौत पर उनके परिवार ने सिस्टम पर सवाल उठाए हैं। 300 बेड अस्पताल के चिकित्सक व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बेटी स्वाती ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को पत्र भेजकर इंसाफ की गुहार लगाई है।

कृष्णा कुंज निवासी अरिवंद बाजपेई की बेटी स्वाति ने शिकायती पत्र में कहा है कि ऑक्सीजन के आभाव में उनके पापा की जान गई। इसके जिम्मेदार 300 बेड अस्पताल के चिकित्सक और स्टाफ है। उनके मुताबिक 23 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद अगले दिन शाम करीब चार बजे वह चाचा मनोज समेत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पिता को तीन सौ बेड अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टर ने ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर भर्ती करने से इंकार कर दिया।

उनकी दोनों बेटियां स्वाति और यशी ने पापा की जान बचाने को काफी मिन्नतें कीं तो एक घंटा ऑक्सीजन देने की बात कहकर भर्ती कर लिया। ऑक्सीजन सिलेंडर लाने की बात कही। किसी तरह ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया तो शाम को कुछ समय और भर्ती कर लिया। आरोप है सांसें उखड़ती देख परिजन उन्हें भर्ती करने की बात कहकर गिड़गिड़ाते रहे लेकिन अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। किसी का दिल नहीं पसीजा। परिजनों के मुताबिक चिकित्सक रेफर करने का दबाव बना रहे थे, लेकिन हालत गंभीर देख उनके दिल ने गवाही नहीं दी।

परिजनों के मुताबिक अस्पताल प्रशासन की जलालत भरी बातें सुनकर देर शाम मजूबरी में अरविंद बाजपेई को निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां अगले दिन उनकी सांसें टूट गईं। स्वाति ने बताया कि प्रशासन अस्पताल में भरपूर ऑक्सीजन और बेड होने का दावा कर रहा है लेकिन हालात उलट हैं। जनप्रतिनिधियों ने अंतिम समय में अपनों का साथ नहीं दिया। अब यदि मामले की जिलाधिकारी स्तर से निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई पिता को इंसाफ दिलाने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर सीएम के पास तक जाएंगे। जरूरत पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।

सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहते हैं जनप्रतिनिधि
राजनीति चमकाने के लिए जनप्रतिनिधि सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रहते हैं। कोरोना का शिकार हुए संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी अरविंद बाजपेई की मौत ने यह बात साबित कर दी। बेटी स्वाति के मुताबिक उनके पापा लंबे समय से संघ से जुड़े थे। पापा के समुचित इलाज के लिए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से लेकर शहर विधायक डा. अरुण कुमार समेत सभी उन विधायकों तक को फोन किये थे, जिनके पापा से निकटतम संबंध थे लेकिन किसी ने कोई उचित रेस्पॉन्स नहीं दिया। आखिर उनके पिता की मौत हो गई।

बेटी का कहना है कि अफसोस तो इस बात का भी है कि पिता की मौत के बाद भी उनके परिवार का किसी नेता ने हाल तक नहीं जाना। जबकि उनके पिता ने पूरी जिंदगी संघ व भाजपा की सेवा में बिता दी। कहा कि इससे ज्यादा शर्म की बात तो यह है कि अंत समय में पापा का साथ नहीं देने वाले कुछ नेता फजीहत से बचने और खुद की राजनीति चमकाने को झूठ बोलते नजर आए।

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