बरेली: मनरेगा योजना के कागजों में दम, जमीन पर कम

अमृत विचार, बरेली। मनरेगा योजना के तहत जिले की सभी ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराए गए हैं, लेकिन मानक के अनुरूप नहीं हुए हैं। ऐसा जमीनी हकीकत बयां कर रही है। इसके बाद भी प्रधानों ने रुपये निकाल लिए। इसकी जांच करनी भी जिले के अधिकारियों ने उचित नहीं समझी। मनरेगा की ओर से …
अमृत विचार, बरेली। मनरेगा योजना के तहत जिले की सभी ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराए गए हैं, लेकिन मानक के अनुरूप नहीं हुए हैं। ऐसा जमीनी हकीकत बयां कर रही है। इसके बाद भी प्रधानों ने रुपये निकाल लिए। इसकी जांच करनी भी जिले के अधिकारियों ने उचित नहीं समझी। मनरेगा की ओर से कराए गए। विकास कार्यों के अनुरूप नहीं कराया गया।
मनरेगा के तहत गांवों के विकास में खर्च होने वाली कुल धनराशि का 60 प्रतिशत प्रकृतिक संसाधनों पर खर्च करने का नियम हैं। 30 प्रतिशत धनराशि बागवानी और 10 से 15 प्रतिशत धनराशि नाली खड़ंजा और अन्य कार्यों पर खर्च करने का प्रावधान है। जबकि गांवों में अधिकांश धनराशि नाली, खड़ंजों और मिट्टी के कार्य पर खर्च की गई है।
यदि बागवानी और प्रकृतिक संसाधनों पर धनराशि खर्च की गई है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में बागवानी दिखाई क्यों नहीं दे रहे है। कई स्थानों पर तालाबों पर भी लोगों ने कब्जा जमा लिया है। पांच वर्ष पूर्व तालाबों के सौदर्यकरण के लिए किया गया पौधरोपण भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। खेतों की मेड़ों पर भी पौधरोपण अधिकांश गांवों में दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि अधिकारी स्वयं यह दावा कर रहे हैं कि मानकों के अनुरूप कार्य किया गया है।
करोड़ों रूपये खर्च नहीं दिख रहे पेड़
मनरेगा की ओर से विकास कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन हकीकत में जितना भी काम हुआ है। उसमें से अधिकांश धनराशि मिट्टी के कार्य, नाली खड़ंजा, पर खर्च किए गए हैं। जबकि कागजों में 60 से 80 प्रतिशत धनराशि प्रकृतिक कार्यों जैसे तालाबों की खुदाई, समेत अन्य कार्यों पर खर्च किए गए है।
मनरेगा की ओर से करीब एक अरब से अधिक की धनराशि पांच वर्ष में खर्च की गई है। डीसी मनरेगा गंगाराम ने बताया कि काम कराए गए हैं। जांच की गई जांच में सभी कार्य सही पाए गए हैं। यदि डीसी की बात सही माने तो गांवों में लगाए गए पौधे कहां गायब हो गए ये बड़ा सवाल है।