बरेली: सीएम साहब! सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की भूमि से इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के अवैध कब्जे हटवाएं

बरेली: सीएम साहब! सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की भूमि से इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के अवैध कब्जे हटवाएं

अमृत विचार, बरेली। इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कब्जे से नगर निगम की सालिडवेस्ट प्लांट की भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। उन्होंने बताया है कि मेयर डा. उमेश गौतम इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति हैं, जिनका सालिडवेस्ट की 0.59 हेक्टेयर भूमि पर करीब …

अमृत विचार, बरेली। इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कब्जे से नगर निगम की सालिडवेस्ट प्लांट की भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। उन्होंने बताया है कि मेयर डा. उमेश गौतम इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति हैं, जिनका सालिडवेस्ट की 0.59 हेक्टेयर भूमि पर करीब 15 साल से कब्जा होने का प्रमाण पैमाइश में पुष्ट हो चुका है। इसके बाद भी कब्जा नहीं हटाया जा रहा हैं।

बुधवार को रामपुर गार्डन स्थित आवास पर प्रेसवार्ता में पूर्व मेयर ने भूमि से संबंधित जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए इससे जुड़े कई आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि गहरी साजिश के तहत पूर्व नगर आयुक्त राजेश कुमार श्रीवास्तव और मेयर के बीच नगर निगम की भूमि को हड़पने के लिए समझौता के कागज तैयार किये गए थे, जो अब निगम से गायब हैं। 110 बीघा भूमि बहगुलपुर में खरीदकर दान में दे दी गई, ताकि सर्वोच्च न्यायालय में फर्जी समझौता के कागज पेश कर रजऊ स्थित सालिडवेस्ट प्लांट की भूमि को यूनिवर्सिटी के नाम से कराया जा सके। आखिर उनको भूमि दान देने और नगर निगम को दान लेने की जरूरत क्या थी?

जबकि नियम है कि बिना बोर्ड में पास कराए, दान लेना और देना दोनों कार्य नहीं किए जा सकते हैं। उन्होंने जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 25 जुलाई 2005 को उपजिलाधिकारी फरीदपुर की स्थलीय जांच में 0.59 हेक्टेयर पर अवैध कब्जा पुष्ट करते हुए चिन्हित किया था। 15 नवम्बर को उच्च न्यायालय के आदेश पर जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई संयुक्त सर्वे की टीम ने पैमाइश की तो भी अवैध कब्जे की पुष्टि हुई। 18 फरवरी 2006 कुलाधिपति डा. उमेश गौतम ने नगर आयुक्त को पत्र लिख नगर निगम की भूमि पर अवैध कब्जा होने की बात को स्वीकार किया है।

इस भूमि पर तीन मंजिला भवन, प्रयोगशाला और सेमिनार हाल बनाए जाने की खुद पुष्टि कर चुके हैं। इसके साथ ही 23 मई 2006 को अवैध कब्जे की भूमि को सरकारी दर पर हस्तांरित करने का अनुरोध नगर आयुक्त से किया है। महालेखाकार इलाहाबाद ने 2019-20 इसको लेकर आपत्ति जताई है। इसमें सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का संचालन न किए जाने के फलस्वरूप निष्फल व्यय धनराशि 1386 लाख रुपये है। प्लांट की 5900 और 1530 वर्ग मीटर की भूमि पर अवैध कब्जा है। 31 जून 2019 को दूसरी बार जांच में भी अवैध कब्जा होने की पुष्टि हुई है। नगर आयुक्त ने क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 12 मार्च 2020 को पत्र लिखकर रजऊ परसपुर प्लांट को चलाने के लिए अनापत्ति दिए जाने का अनुरोध किया है, जो मार्च में लाकडाउन होने के कारण अभी तक लंबित है।

बर्ड हिट से लड़ाकू विमानों को बचाने के लिए वायु सेना स्टेशन के अधिकारियों ने प्लांट चलाने के लिए कह चुके हैं। शासन के आदेश पर नगर आयुक्त अभिषेक आनंद 7 नवम्बर 2020 को जांच आख्या भेजकर अवैध कब्जे की पुष्टि करते हुए अन्य विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला है। लेकिन अवैध कब्जा हटाने को निर्देश न होना बताया गया है। नगर आयुक्त ने आख्या में बताया है कि अवैध कब्जे की भूमि करोड़ों रुपये की है।

तोमर ने मांग की है कि प्रदेश सरकार भू माफिया के खिलाफ अभियान चला रही है। इसी अभियान के तहत सरकारी भूमि से अवैध कब्जे को हटाया जाए। क्योंकि बगल के जनपद रामपुर में पूर्व मंत्री आजम खां के विश्वविद्यालय पर सरकारी भूमि कब्जा करने पर बुल्डोजर चलाया गया था। इसके साथ मेयर रहते हुए सरकारी भूमि पर कब्जा करना बड़ा जुर्म है।

जब मेयर थे तो क्यों नहीं कब्जा हटवाया : उमेश
इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति व मेयर डा. उमेश गौतम ने कहा कि मेरे ऊपर सरकारी भूमि पर कब्जा होने की पुष्टि है तो तत्कालीन मेयर डा. आईएस तोमर अपने कार्यकाल में क्या कर रहे थे, क्यों नहीं सालिडवेस्ट मैनेजमेंट की भूमि से कब्जा हटवा दिया।
वह खुद बताए कि 2006 से कब्जा है तो उस समय मुझसे से कितने रुपये लिए थे। पहले अपना अस्पताल तुड़वाकर दिखाएं, हाईकोर्ट का आदेश है कि आवासीय भवन में अस्पताल नहीं खोला जा सकता है।

इस मामले में मंडलायुक्त के पास वाद दाखिल किया था, जो खारिज हो चुकी है। बीडीए में फाइल लंबित पड़ी हुई है। अगर थोड़ी भी नैतिकता हो खुद का भवन तोड़ दें। तोमर अगर साबित कर दें कि नगर निगम की भूमि पर मेरी यूनिवर्सिटी का कब्जा है तो मैं खुद तोड़वा दूंगा। 2012 से 2017 तक मेयर रहे थे, उस समय प्रदेश में सपा की सरकार भी थी, क्योंकि नहीं कार्रवाई कराए। हमारी भूमि का मामला शासन स्तर से जांच की जा रही है। हमने तो नगर निगम को भूमि दान दी है। किसी को एक गज भूमि दान देकर दिखाएं। हमसे अधिक अवैध कब्जा और अतिक्रमण अभी तक किसी मेयर ने नहीं हटवाया है।

उनके कार्यकाल में शहर का विकास नहीं था, गलियां कच्ची थीं। लोग मुर्दाबाद के नारे लगाते थे। अब शहर का विकास हो रहा है तो उनको आगामी मेयर के चुनाव में हार का डर सता रहा है। इसके खिसियानी बिल्ली खंभा नोचने वाली कहावत उन पर सटीक बैठ रही है।