पीलीभीत: गोशाला में गड्ढों में सड़ रहे गोवंश के शव, जिम्मेदारों ने मिट्टी से पाटने की भी नहीं ली सुध

पीलीभीत, अमृत विचार: करोड़ों रुपये खर्च होने और निगरानी के तमाम दावों के बीच गोशालाओं की दुर्दशा दूर नहीं हो पा रही है। हरकिशनापुर गोशाला का हाल भी बेहाल है। आश्रित किए गए गोवंशीय पशुओं को न तो हरा चारा मिल पा रहा है, ना ही बीमार पड़ने के बाद पर्याप्त इलाज। इ
तना ही नहीं मरने के बाद उन्हें दफनाने में भी जिम्मेदार बेपरवाह हैं। तीन दिन के भीतर इस लापरवाही से जुड़ी दूसरी तस्वीर उजागर हुई है। सिर्फ परिसर में ही एक बड़ा गड्ढा खोद दिया गया है और मरने के बाद पशुओं के शव उसमें डाल दिए जा रहे हैं। उनको ठीक से मिट्टी से पाटने की भी सुध नहीं ली जा रही है। अधिकारियों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
अभी तीन दिन पहले ही मरौरी ब्लॉक क्षेत्र की पंडरी गोशाला में अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकर्ता पहुंचे थे। वहां पर गड्ढे में गोवंशीय पशुओं के शव सड़ते हुए मिले थे। प्रधान के पहले ही अधिकार सीज चल रहे थे, ऐसे में गोशाला समिति के अध्यक्ष को हटाने की मांग डीएम को ज्ञापन देकर की गई थी। शिकायत के बाद टीमें दौड़ाई और पंडरी गोशाला के कुछ हालात सुधार दिए गए। हालांकि हरे चारे की व्यवस्था अभी भी नहीं हो सकी है। इधर, मरौरी ब्लॉक क्षेत्र में ही हरकिशनापुर गोशाला का हाल भी अछूता नहीं है।
यहां पर करीब चार साल पहले भारी बजट खर्च कर गोशाला का निर्माण कराया गया था। जिसकी क्षमता करीब 70 पशुओं की है, लेकिन वर्तमान में 204 पशु आश्रित हैं। करीब पांच कर्मचारियों को गोवंश की देखरेख और परिसर की साफ सफाई के लिए लगा रखा है।
गांव के बाहर की तरफ सुनसान में बनी इस गोशाला का हाल बाहर से देखने पर ठीक-ठाक लग रहा था लेकिन भीतर पहुंचने पर हालात संतोषजनक नहीं थे। मृत पशुओं को दफनाने में यहां पर भी लापरवाही बरती जा रही है।
आलम ये था कि गड्ढे में फेंकने के बाद कुछ मिट्टी ऊपर से डाल दी गई लेकिन पूरी तरह से उनको दफनाने की जहमत नहीं उठाई गई। गड्ढे के दस मीटर नजदीक पहुंचते ही दुर्गंध उठ रही। इसके अलावा गड्ढे में मृत पशुओं के शव पड़े हुए थे, जोकि सड़ रहे थे। मौजूदा कर्मचारियों से जब इसे लेकर पूछा गया तो बचाव करते दिखाई दिए।
दिन में दो बार चारा देने की कही बात, नांद में सूखा भूसा
हरकिशनापुर गोशाला में आश्रित पशुओं को दिन में दो बार हरा चारा देने का दावा किया गया है। ये भी कहना है कि हरा चारा उगाने के लिए एक खेत भी प्रधान द्वारा किराए पर लिया गया है, ताकि बेहतर व्यवस्था बनी रहे। मगर, बुधवार दोपहर को जब अमृत विचार की टीम पहुंची और इसे लेकर सवाल जवाब किए गए तो उनका तर्क था कि अभी भूसा दिया गया है, शाम को चारा आएगा और फिर खिलाया जाएगा। इतना जरूर परिसर में ही एक स्थान पर लगे गोबर के ढेर पर ही कुछ हरा चारा पड़ा हुआ था, जिसे इक्का-दुक्का पशु खा रहे थे।
सफाई व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं, दवाएं कहीं नहीं दिखीं
अमूमन गोशालाओं में आश्रित किए गए पशुओं के लिए वहां पर दवाओं की व्यवस्था रखी जाती है। पशु चिकित्सकों को भी नियमित पहुंचकर देखरेख करने की जिम्मेदारी दी गई है। मगर, परिसर में सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह से दुरुस्त नहीं थीं और दवाएं तो कहीं दिखी भी नहीं। एक-दो पशु चोटिल हालत में दिखे लेकिन उनके जख्मों पर भी कोई दवा नहीं लगी हुई थी।
सचिव बोले- जानवर हटा गए होंगे मिट्टी, प्रधान से दिखवाएंगे
हरकिशनापुर गोशाला में 204 पशु आश्रित हैं। इनको हरा चारा देने के लिए प्रधान द्वारा एक खेत भी किराए पर लिया गया है। पशुओं को दफनाने में कोई लापरवाही नहीं बरती जाती है। कई बार जानवर आकर मिट्टी हटा जाते हैं। हो सकता है इसी वजह से मृत पशु दिख रहे हो। मैं रुटीन चेकअप कराने आया हूं, प्रधान को भेजकर दिखवाएंगे- मेवालाल, ग्राम पंचायत अधिकारी।
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