Bareilly: रोजगार सेवकों के ईपीएफ में देरी...मनरेगा पर 70 लाख जुर्माना

बरेली, अमृत विचार। लंबे समय से मानदेय न मिलने की समस्या से जूझ रहे ग्राम रोजगार सेवकाें का ईपीएफ देरी से जमा करने पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मनरेगा विभाग पर करीब 70 लाख रुपये की क्षति पूर्ति और जुर्माना लगाया है। तीन साल तक ईपीएफ काफी विलंब से जमा होने पर यह कदम उठाया गया है।
जिले में 776 रोजगार सेवक हैं। एक रोजगार सेवक को 10 हजार रुपये मानदेय मिलता है। इसमें 13 फीसदी ईपीएफ सरकार के हिस्से का काटा जाता है। इसके बाद 8700 रुपये में से 12 फीसदी ईपीएफ की कटौती कर्मचारी के हिस्से में से होती है। 2212 रुपये की कटौती करने के बाद 7788 रुपये महीने मानदेय का भुगतान रोजगार सेवकों को किया जाता है। प्रतिमाह कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते में राशि जमा करने का प्रावधान है, मगर बताया जा रहा है कि 2017 से 2020 तक तीन सालों का रोजगार सेवकों का पीएफ जमा ही नहीं किया गया था। इसको लेकर ईपीएफओ की ओर से मनरेगा विभाग को नोटिस जारी की गई थी, इसके बाद जुर्माना लगाने की कार्रवाई की गई है। देरी से जमा करने के कारण करीब 70 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति और जुर्माना लगाया है।
समय से जमा होता ईपीएफ तो ब्याज का मिलता फायदा
रोजगार सेवक संघ के जिलाध्यक्ष गंगादीन कश्यप बताते हैं कि 2015 से 2020 तक ईपीएफ नहीं जमा किया गया। बाद में 2017 से 2020 तक ईपीएफ जमा कर दिया गया है। देरी से अंशदान जमा करने के मामले में यह कार्रवाई हुई है। समय से ईपीएफ जमा हो जाता तो रोजगार सेवकों को ब्याज के ताैर पर लाभ मिलता। ब्लॉकों में खुले होल्डिंग अकाउंट में सरकार ने 2015 से 2020 तक के ईपीएफ की 13 फीसदी रकम जमा कर दी है। रोजगार सेवकों ने भी वर्ष 2017 से 2020 का ईपीएफ की 12 फीसदी धनराशि पिछले माह जमा कर दी है। कहा कि, पैसा नहीं होने की वजह से 2015 से 2017 का ईपीएफ अभी नहीं जमा हो सका है।
डीसी मनरेगा मो. हसीब अंसारी ने बताया कि रोजगार सेवकों का ईपीएफ देरी से जमा करने के मामले में क्षतिपूर्ति और जुर्माना की कार्रवाई की गई है। मामला संज्ञान में आया है। प्रकरण को दिखवाया जा रहा है। उचित प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।
एक साल से 776 रोजगार सेवकों का लटका मानदेय
= बकाया है सात करोड़ 25 लाख रुपये का भुगतान
= डीसी मनरेगा से मिले रोजगार सेवक, मिला आश्वासन
एक साल से रोजगार सेवकों का मानदेय लटका हुआ है। इसकी वजह से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। शुक्रवार को रोजगार सेवकों ने विकास भवन में डीसी मनरेगा से मुलाकात की और मानदेय दिलाने की मांग उठाई। जिले में 776 रोजगार सेवक हैं। प्रत्येक को 7788 रुपये के हिसाब से प्रति माह मानदेय मिलता है। एक रोजगार सेवक को एक साल में करीब 93,456 रुपये की धनराशि मानदेय के तौर पर मिलती है, मगर पिछले एक साल से करीब सात करोड़ 25 लाख 21 हजार 856 रुपये का भुगतान लटका है।
इंतजार करते-करते होली भी बीत गई। रोजगार सेवकों को जानकारी हुई है कि शासन से 24 मार्च को बजट जारी होने वाला है। शुक्रवार को रोजगार सेवक संघ के जिलाध्यक्ष गंगादीन कश्यप की अगुवाई में तमाम रोजगार सेवक डीसी मनरेगा मो. हसीब अंसारी से मिले और मानदेय भुगतान की मांग की। इसके लिए बीडीओ को पत्र लिखने का भी अनुरोध किया है। डीसी मनरेगा ने सीडीओ से पत्र लिखाने और बजट के हिसाब से भुगतान कराने का आश्वासन दिया है।
नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने बताया कि गर्मी के मौसम को देखते हुए पेयजल आपूर्ति को ठीक करने और हैंडपंप मरम्मत करने का निर्देश दिए गए है। इसको लेकर कई जगहों पर काम चल रहा है। लीकेज को ठीक करने के लिए टीम भी बनाई गई है।
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