44 दिन 13 शिकार 50 गांव में दहशत बरकरार : शीतकालीन अवकाश खत्म होने के बाद स्कूलों में दिखा बाघ का डर

44 दिन 13 शिकार 50 गांव में दहशत बरकरार : शीतकालीन अवकाश खत्म होने के बाद स्कूलों में दिखा बाघ का डर

फहीम उल्ला खां, अमृत विचार : मलिहाबाद सर्किल के रहमानखेड़ा जंगल के आसपास के 50 गांवों में 44 दिन से बाघ घूम-घूमकर 13 मवेशियों का शिकार कर चुका है। बाघ की दहशत का असर परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर भी पड़ा है। शीतकालीन अवकाश के बाद बुधवार को स्कूल खुले तो इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की उपस्थिति बहुत ही कम रही। बच्चे अकेले स्कूल जाने से मना कर रहे है। ऐसे में अभिभावकों के सामने विषम परिस्थिति आ गई है। हालांकि, रोजाना 70 हजार रुपये खर्च करने के बाद वन विभाग बाघ को पकड़ने में नाकाम  है। 

सरकारी स्कूल

202 की संख्या में 41 बच्चों की उपस्थिति

दरअसल, मलिहाबाद के 50 गांव बाघ प्रभावित है। इनमें सबसे ज्यादा सहिलामऊ, मोहम्मदनगर, रहमतनगर, मीठेनगर और दुगौली गांव आता है। इन गांव के बाहर आए-दिन बाघ के नए-नए पघचिन्ह भी मिलते हैं। इन गांव के परिषदीय स्कूलों में कुल 202 बच्चे पंजीकृत है। शीतकालीन अवकाश खत्म होने के बाद इन स्कूलों में सिर्फ 41 बच्चे ही पढ़ने आए थे। शेष बच्चे अकेले स्कूल जाने से मना कर रहे हैं। वहीं, बाघ की दहशत से किसान रात में खेत की रखवाली भी नहीं कर पा रहे हैं। यही, वजह है कि नीलगाय किसानों की बेबसी का फायदा उठाकर फसलों का नुकसान कर रही है।

विद्यालय                                         पंजीकृत बच्चे                                  बच्चों की उपस्थिति
परिषदीय स्कूल, सहिलामऊ                      52                                            11
परिषदीय स्कूल, मोहम्मदनगर                   62                                            25
परिषदीय स्कूल, रहमतनगर                      25                                             0
परिषदीय स्कूल मीठेनगर                         52                                              0
परिषदीय स्कूल, दुगौली                           11                                              5

बाघ का खौफ

स्कूलों में छुट्टी करने की मांग

शीतकालीन अवकाश के बाद परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत बच्चों की आमद सिमट गई है। अभिभावक स्वयं स्कूल छोड़ने बच्चों को आ रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि वह दोनों समय बच्चों को छोड़ने और लेने आते हैं, जिससे उनका कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहा है। वन विभाग को बार-बार सूचना देने पर भी विभाग सोया हुआ है। शासन प्रशासन भी इस बात को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहा। अभिभावकों का कहना है कि बाघ प्रभावित क्षेत्रों के सभी स्कूलों में छुट्टी देनी चाहिए, ताकि उनके बच्चे घर पर सुरक्षित रह सकें।

कैमरे बाघ

रोजाना 70 हजार रुपये हो रहे खर्च

जानकारी के मुताबिक, बाघ को पकड़ने के लिए अब तक वन विभाग ने 25 लाख से भी ज्यादा रुपये खर्च किया है। इनमें हाथिनियां सुलोचना और डायना पर 05 से 07 लाख रुपये का खर्च शामिल है। बावजूद इसके वन विभाग को चकमा देकर बाघ 13 मवेशियों को निवाला बना चुका है। प्रतिदिन के हिसाब से बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग को 70 हजार रुपये खर्च करना पड़ रहा है। डीएफओ सितांशु पांडे ने बताया कि बाघ प्रभावित क्षेत्र में स्कूल बंद करने के लिए ज़िलाधिकारी को पत्र भेजा गया है। डीएम के आदेश पर स्कूलों में अवकाश घोषित होगा। 

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