बरेली स्मार्ट सिटी...सैकड़ों करोड़ के प्रोजेक्ट सिर्फ टेंडर के कारण लटके, शर्तों में अटका कमाई का सपना
बरेली, अमृत विचार। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सैकड़ों करोड़ के प्रोजेक्ट सिर्फ शहर की जनता के लिए नहीं तैयार किए गए, इनके जरिए कमाई के रास्ते खोलने की भी योजना थी लेकिन जिन कंपनियों के जरिए स्मार्ट सिटी कंपनी का यह सपना पूरा होना था, उनसे शर्तों का टकराव खत्म होने में नहीं आ रहा है। एक साल बाद भी स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजेक्ट शोपीस बने हुए हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से राजस्व आय के लक्ष्यों के आधार पर ही देखा जाए तो प्रोजेक्ट शुरू न होने से उसे हर महीने करोड़ों का घाटा हो रहा है।
बरेली स्मार्ट सिटी इस आधार पर दूसरे फेज में पहुंचा है क्योंकि उसके पहले फेज के सभी काम पूरे हो गए हैं। यह अलग बात है कि पहले फेज के ओपन जिम और पार्कों के सौंदर्यीकरण जैसे कई प्रोजेक्ट पर पानी फिर चुका है तो कई प्रोजेक्ट जिन्हें स्मार्ट सिटी कंपनी की आय का जरिया बनना था, वे तैयार होने के बाद भी जैसे के तैसे खड़े हुए हैं। इन्हें चलाने की शर्तों पर बात नहीं बन पा रही है। इसी वजह से अब तक टेंडर नहीं हो पाए हैं। नतीजा यह है कि आय होने की बात तो बहुत दूर, इनमें स्मार्ट सिटी की करोड़ों की पूंजी भी फंसी हुई है। सीईओ स्मार्ट सिटी कंपनी संजीव कुमार मौर्य ने बताया कि कई प्रोजेक्ट चलाने के लिए एजेंसी तय हो चुकी है। जो बचे हैं, उनके लिए भी प्रयास किया जा रहा है। अर्बन हाट के बारे में शासन को जानकारी दी गई है।
अर्बन हाट
करीब 4.5 हेक्टेयर जमीन पर 157 करोड़ की लागत से अर्बन हाट और हैंडिक्राफ्ट सेंटर बनाने का उद्देश्य जिले के पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराना था। लंबे वक्त के बाद भी इसके संचालन का मामला शासन स्तर पर अटका हुआ है। इससे करीब दो करोड़ रुपये की मासिक आय का लक्ष्य तय किया गया था।
कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स
तांगा स्टैंड की जमीन पर 4.30 करोड़ की लागत से बने कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स का भी टेंडर नहीं हो पा रहा है। वजह यह है कि कॉम्प्लेक्स तो बना दिया गया लेकिन पार्किंग का इंतजाम नहीं किया गया। इसी वजह से कोई निजी कंपनियां इसका टेंडर लेने को तैयार नहीं हैं। इस कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में 36 दुकानें है जिनसे 42 लाख रुपये का किराया हर महीने आने की बात कही गई थी।
अमृत सरोवर
संजय कम्युनिटी हॉल परिसर में अमृत सरोवर विकसित करने पर 9.59 करोड़ रुपये की रकम खर्च की गई लेकिन यह प्रोजेक्ट भी शुरू नहीं हो पाया है। यहां दुकानें भी बनाई गई हैं जिनके किराए से आय होनी थी।
स्काई वाक
स्मार्ट सिटी कंपनी 11.34 करोड़ रुपये की लागत से स्काई वॉक बनवाया है जिसका टेंडर तो हो चुका है मगर अभी इस पर दुकानें नहीं बनी है। करीब 84 दुकानों का किराए के रूप में लाखों की मासिक आय का लक्ष्य तय किया गया है।
फूड कोर्ट
डीडीपुरम में फूड कोर्ट बनकर तैयार हो गया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी कर इसे चलाने के लिए एजेंसी भी तय कर दी गई है। फूड कोर्ट में 56 दुकानों के साथ मल्टीलेवल पार्किंग की भी सुविधा है। यह करीब 3.02 करोड़ की लागत से बना है। इससे भी हर महीने लाखों की आय होनी है।