एसटीएच के मेडिसन और बाल रोग विभाग में डॉक्टरों की कमी

एसटीएच के मेडिसन और बाल रोग विभाग में डॉक्टरों की कमी

हल्द्वानी, अमृत विचार: राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल है। कोविड-19 के समय इस अस्पताल को कुमाऊं का सबसे बड़ा कोविड अस्पताल बनाया गया था। इस समय इन्फ्लुएंजा बीमारी भी लगातार बढ़ रही है और इस अस्पताल के मेडिसन और बाल रोग विभाग डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं।


 एसटीएच में प्रतिदिन मेडिसन विभाग में सबसे ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। यहां विगत दिनों मेडिसन विभाग के डॉ. वीएन सत्यवली का स्थानांतरण देहरादून हो गया। इस विभाग में भी डॉक्टरों की कमी है। इसके अलावा बाल रोग विभाग में इस समय केवल चार ही डॉक्टर मौजूद हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. ऋतु रखोलिया के अलावा तीन और डॉक्टर अपनी सेवा दे रहे हैं। इन्फ्लुएंजा से भी बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं। डॉक्टरों को छुट्टी पर भी जाना होता है। ओपीडी के अलावा आईपीडी में भर्ती बच्चों को भी देखना पड़ता है। ऐसे में अस्पताल में डॉक्टरों की कमी पूरा करना चुनौती है।


  प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि डॉक्टरों के लिए साक्षात्कार का आयोजन किया जाएगा। डॉक्टरों का वेतन भी बढ़ा दिया गया है। उम्मीद है कि अस्पताल को और भी डॉक्टर मिलेंगे। राहत ही बात यह है कि बेस अस्पताल में फिलहाल मेडिसन और बाल रोग विभाग में डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त है। मेडिसन विभाग में तीन फिजिशियन हैं। इसके साथ ही बाल रोग विभाग में तीन डॉक्टर हैं।  

महिला अस्पताल में 10 स्टाफ नर्स की कमी
राजकीय महिला अस्पताल में नर्सेज की भारी कमी है। अस्पताल में 10 स्टाफ नर्सों की आवश्यकता है। नर्सेज की कमी होने से अस्पताल में कमजोर नवजात बच्चों के लिए बनाया गया एसएनसीयू पर्याप्त समय नहीं चलता है। इसे केवल आठ घंटे की शिफ्ट में ही चलाया जा रहा है। जिस वजह से अस्पताल में होने वाले प्रसवों की संख्या में भी कमी आई है। अस्पताल की सीएमएस डॉ. उषा जंगपांगी ने बताया कि स्टाफ के लिए शासन स्तर पर सूचित किया गया है। 

जन्म प्रमाण पत्र का पोर्टल ठप
जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाला पोर्टल गुरुवार को ठप हो गया। जिस वजह से जन्म प्रमाण पत्र बनना बंद हो गए। राजकीय महिला अस्पताल में लोग अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए पहुंचे यहां कागजी कार्यवाही तो हुई लेकिन पोर्टल बंद होने से जन्म प्रमाण पत्र के लिए पोर्टल में डाटा नहीं फीड किया जा सका। यही हाल डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल में भी रहा। महिला अस्पताल से जानकारी मिली कि पोर्टल में दिक्कत को यहां से सही नहीं किया जा सकता है। पोर्टल के ठीक से काम करने के बाद जन्म प्रमाण पत्र बनना शुरू हो जाएंगे।