कानपुर में STP व IPS के लिए यूपीसीडा देगा जमीन: औद्योगिक क्षेत्रों में अमृत योजना 2.0 के तहत डाली जाएगी नई सीवर लाइन
पनकी साइट 1,4,5 में बनेगा आईपीएस, पांडु नदी के पास बनेगा एसटीपी
कानपुर, अमृत विचार। औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले दूषित उत्प्रवाह के शोधन के लिए जल्द ही नया आईपीएस (इंटरमीडिएट सीवेज पंपिंग स्टेशन) तथा एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण होगा। इनकी शोधन क्षमता के लिए पनकी, दादा नगर और फजलगंज से निकलने वाले सीवरेज का आकलन किया जा रहा है।
पनकी और पांडु नदी के आसपास इसके लिए 5900 वर्गगज जमीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी यूपीसीडा को दी गई है। नये आईपीएस और एसटीपी बनने से पांडु नदी में गिरने वाले गंदे पानी पर पूर्ण रोक लग जाएगी।
पनकी साइट 1, 2, 3, 4 और 5, दादा नगर और फजलगंज में नई सीवर लाइन डाली जानी है। जल निगम के अनुसार अमृत योजना 2.0 में सीवर लाइन पड़ेगी। पनकी साइट 1,4 व 5 में आईपीएस निर्माण के लिये 900 वर्ग मीटर और पांडु नदी के पास पनकी साइट 3 व 4 में एसटीपी के लिये 5 हजार वर्ग मीटर भूमि की जरूरत है।
लघु उद्योग भारती के महामंत्री संदीप अवस्थी ने पिछले दिनों औद्योगिक क्षेत्रों में सीवर लाइन डालने की मांग की थी। नगर आयुक्त के निर्देश पर जलकल ने यहां से निकलने वाले सीवेज का आकलन शुरू किया है।
10 एमएलडी एसटीपी व आईपीएस की जरूरत
जल निगम (शहरी) के अधिशासी अभियंता विशाल सिंह के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र को सीवर समस्या से निजात दिलाने के लिए 10 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और इंटरमीडिएट सीवेज पंपिंग स्टेशन बनाने की जरूरत है।
अभी सीवेज नालों और नालियों में बहाया जाता
पनकी, दादानगर में करीब 3 हजार फैक्ट्रियां हैं। इनमें करीब 50 हजार मजदूर काम करते हैं। रोज करीब आठ एमएलडी सीवेज निकलता है। इसके निस्तारण के लिए क्षेत्र में सीवर लाइन नहीं हैं। फैक्ट्रियों में बने सोखता भरने पर निजी टैंकर से सीवेज निस्तारित कराया जाता है। निजी टैंकर चालक इसे एसटीपी में ले जाने के बजाए डीजल बचाने के लिए नालों में डाल देते हैं। कुछ फैक्ट्री संचालक नालियों में ही सीवेज बहा देते हैं।
पनकी एसटीपी से लाइन जोड़ने की नहीं मिली थी अनुमति
जल निगम शहरी ने पहले पनकी और दादानगर क्षेत्र के सीवेज निस्तारण के लिए वहां से लाइन डालकर पनकी में बने 20 एमएलडी सीवेज पंपिंग स्टेशन से जोड़ने की योजना बनाई थी। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक से इसकी अनुमति मांगी गई, पर एसपीएस की क्षमता कम होने और कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर इंकार कर दिया गया था।