रबड़ फैक्ट्री: पिछले साल हक में आया फैसला लेकिन चूक गई राज्य सरकार, जानें पूरा मामला
राकेश शर्मा, बरेली। लंबे समय बाद खुलासा हुआ है कि रबड़ फैक्ट्री केस में बॉम्बे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने साल भर पहले राज्य सरकार के हक में फैसला सुना दिया था लेकिन राज्य सरकार की ओर से पहले संशोधित प्रार्थनापत्र और फिर प्रति शपथपत्र दाखिल न कर पाने की चूक कर दी गई। इस बीच विपक्षी अलकेमिस्ट कंपनी की ओर से अपील पर केस डबल बेंच में चला गया। अब कानूनी पक्ष पुख्ता करने के लिए रबड़ फैक्ट्री केस में राज्य सरकार अलग से केस दायर करने जा रही है। इसके लिए जिला प्रशासन ने फाइल तैयार कर मुंबई में वकीलों को भेज दी है।
रबड़ फैक्ट्री की करीब 13 सौ एकड़ जमीन पर मालिकाना हक का केस अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मेसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य पर चार साल से बॉम्बे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही थी। इस केस में अब तक कई उतार-चढ़ाव आ चुके हैं। हालांकि करीब 25 साल पहले बंद हो चुकी रबड़ फैक्ट्री की जमीन अपने कब्जे में लेने के लिए राज्य सरकार की ओर से काफी समय बाद गंभीरता से पैरवी शुरू की गई।
इसी सिलसिले में मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल की अध्यक्षता में 20 नवंबर 2024 को संबंधित अधिकारियों और वकीलों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस में तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई थी। इसी वीडियो कॉन्फ्रेंस में साफ हुआ कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर 2023 को ही राज्य सरकार को पक्षकार बनने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से संशोधित याचिका दाखिल नहीं की गई।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के विरुद्ध अलकेमिस्ट/सुरक्षित देनदारों की ओर से याचिका दाखिल कर दी गई। इस अपील के विरुद्ध भी राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए नामित अधिवक्ता ने प्रति शपथपत्र दाखिल नहीं किया। मंडलायुक्त की वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्रति शपथ दाखिल करने के बारे में भी नए सिरे से मंथन किया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंस में डीएम, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ए) यूपीसीडा, विशेष सचिव औद्योगिक विकास, महाप्रबंधक विधि, यूपीसीडा, एडीएम फाइनेंस, बाॅम्बे हाईकोर्ट के वकील आदित्य ठाकुर और सौभाग्य अग्रवाल, प्रभारी औद्योगिक क्षेत्र यूपीसीडा, क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार ने नए सिरे से वाद दाखिल करने के बारे में भी मंथन किया।
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक सिंगल बेंच के आदेश के विरुद्ध अलकेमिस्ट की याचिका डबल बेंच में विचाराधीन है। अब अलग से वाद दर्ज कराने के लिए सभी कागजात की फाइल मुंबई भेजी जा चुकी है। बता दें कि फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री स्थापित करने के लिए 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को तत्कालीन राज्य सरकार ने 3.40 लाख रुपये लेकर 1382.23 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज डीड में यह शर्त शामिल थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार जमीन वापस ले लेगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 को बंद हो गई थी।
मुंबई के वकीलों ने दिया नए वाद दाखिल करने का सुझाव
वीडियो कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार की ओर से नामित अधिवक्ता आदित्य ठाकुर और सौभाग्य अग्रवाल ने सुझाव दिया कि अब हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में आगे कार्यवाही न बढ़ाई जाए। इसके बजाय रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर राज्य सरकार का कब्जा वापस लेने के लिए उचित होगा कि 20 दिसंबर 2023 को निर्णीत हाईकोर्ट के आदेश और कंपनी, उत्तर प्रदेश शासन के मध्य अनुबंध पत्र और कन्वेंस डीड की शर्तों के अधीन बॉम्बे हाईकोर्ट या डीआरटी लखनऊ में नए वाद योजित किए जाएं। वाद योजित करने से पहले प्रार्थना पत्र तैयार करने के संबंध में विभिन्न प्रपत्र और जानकारी जुटाई जानी चाहिए ताकि हाईकोर्ट में वाद मजबूती से रखा जा सके।
ऑफीशियल लिक्विडेटर के यहां भी प्रमुख सचिव ने की थी पैरवी
रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर कब्जा प्राप्त करने के लिए प्रमुख सचिव औद्योगिक पिछले साल ऑफीशियल लिक्विडेटर के यहां पैरवी कर चुके हैं। प्रमुख सचिव ने पत्र भेजा था जिस पर उनकी ओर से उत्तर प्रदेश शासन को प्रतिउत्तर उपलब्ध नहीं कराया गया। इस संंबंध में वकील की ओर से जानकारी दी गई कि ऑफीशियल लिक्विडेटर ने मौखिक अवगत कराया है कि जमीन पर कब्जा लेना बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बगैर संभव नहीं है।
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