उग्रवाद के खिलाफ
उत्तर प्रदेश पुलिस और पंजाब पुलिस को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ पीलीभीत में मिली सफलता दिखाती है कि राष्ट्र विरोधी ताकतों को खत्म करने के लिए पुलिस व सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता अडिग है। चिंता की बात है कि विदेश में बैठे देश विरोधी तत्व पंजाब में खालिस्तान की मांग को हवा दे रहे हैं और युवाओं को गुमराह करने में सफल हो रहे हैं। मामला गिने-चुने सिर-फिरे खालिस्तानी कट्टरपंथियों का नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ खतरनाक षड्यंत्र का है।
पीलीभीत मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकवादी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) से जुड़े थे। खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे संगठनों की लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार और प्रतिबंधित जिहादी संगठनों से निकटता की पुष्टि हो चुकी हैं। पंजाब पुलिस ने खुलासा किया है कि विदेश से संचालित केजेडएफ पंजाब में पुलिस थानों और चौकियों पर हमले करवा रहा है। केजेडएफ का प्रमुख रंजीत सिंह नीटा ग्रीस में बैठे जसविंदर सिंह बागी उर्फ मनु अगवान को हैंडलर के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
मनु के इशारे पर पंजाब में बैठे केजेडएफ के गुर्गे इन धमाकों को अंजाम दे रहे थे। पुलिस जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। विदेश में बैठे आतंकी पंजाब में नशेड़ी युवकों को विदेश में सैटल करने, पैसे व नशे का लालच दे रहे हैं। युवा इस लालच में आतंकवादियों के हथियार व विस्फोटक पदार्थ हैंडलरों तक पहुंचाने या धमाके करने का काम कर रहे हैं। समय की मांग है कि भारत के विरुद्ध बड़े विदेशी षड्यंत्र से सख्ती से निपटा जाए। हमें पश्चिमी देशों को समझाना होगा कि खालिस्तानी पृथक नहीं, बल्कि पाकिस्तानी कठपुतली है और उनके संबंध प्रतिबंधित अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों के साथ हैं।
आतंकवाद को समग्र रूप से दिखाना और उसकी हर अभिव्यक्ति के विरुद्ध ठोस कार्रवाई कराना हमारी कूटनीति की परीक्षा होगी। ब्रिटेन, अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देश पहले ही ‘फाइव आईज’ नामक खुफिया सहयोग गठबंधन के सदस्य हैं। फाइव आईज दुनिया के सबसे प्रसिद्ध जासूसी गठबंधनों में से एक है। इस गठबंधन के देश एक-दूसरे के साथ खुफ़िया जानकारी साझा करते हैं और कई मामलों में साथ मिलकर काम करते हैं।
इसका मकसद आतंकवाद को रोकना और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काम करना है। यदि हम खालिस्तान समर्थकों पर केंद्रित इसी प्रकार की नई बहुपक्षीय पहल का प्रस्ताव रखें तो वह प्रभावी होगी। इंटरनेट पर फैले खालिस्तान समर्थकों के बीच संपर्क, समन्वय और वित्तीय प्रवाह की रोकथाम को प्राथमिकता देकर संबंधित देश को भारत के साथ मिलकर उग्रवाद से लड़ने के लिए तैयार करना होगा।